NEWS7AIR

मतदान  को सिर्फ़ अधिकार  नहीं  कर्तव्य के तौर पर भी देखे

शीतल झा

लोकतंत्र का महापर्व पूरे देश में मनाया जा रहा है। ये ऐसा पर्व है जो पाँच वर्ष में एक बार आता है और आम चुनाव में आम जनता ही सबसे ख़ास  है।

पूरे पाँच साल  जनता से ना किसी को मतलब होता है ना ही कोई झांकने आता है कि वो किन समस्याओं से जूझ रहा है। जनता कैसे महंगाई में गुजारा कर रहा है, कैसे अपने परिवार को चला रहा है,  कैसे बेरोजगारी से जूझ रहा है, कैसे बेटी की पढ़ाई और शादी के लिये एक-एक पैसे जोड़ रहा है, कैसे बारिश में घर,फसल को क्षति से बचा रहा है, घर में बूढ़े बूढ़े माँ-बाप को पेंशन समय पर मिल भी रहा है या नहीं?

बेरुखी के लिये कुछ हद तक  जनता भी ज़िम्मेदार है 


पाँच वर्ष में नेता ईद के चाँद की तरह कभी कभार ही नज़र आते है। चुनाव के समय जनता के सामने हाथ जोड़कर  दर-दर वोट माँगते नज़र आते है।विजयी होने के बाद एक मायावी देव की तरह छूमंतर हो जाते है  और हम इन मायावी देव को सच का देव मान  बैठते है।पर कहीं ना कहीं इस बेरुखी के लिये कुछ हद तक  जनता भी ज़िम्मेदार है ।
जनता को दसों उँगलियाँ घी में चाहिये पर बिना कुछ किए। बिजली का बिल नहीं देंगे पर बिजली आपूर्ति लगातार चाहिये। शिक्षा स्वास्थ्य बेरोजगारी पर सवाल नहीं करेंगे पर देश खुशहाल चाहिये। लोन चाहिये पूरा पर ब्याज नहीं देंगे। शिकायत करेंगे नहीं पर कारवाई तुरंत चाहिये। कोई नेता उल-जुलूस वादे कर दे तो सवाल करेंगे नहीं।  गरीबी रेखा से नीचे की रहना चाहते है पर देश गरीबी मुक्त करना चाहते है।  जाति के नाम वोट देंगे पर देश भेदभाव मुक्त चाहते हैं।

 

आम जनता से ज़्यादा ताकतवर कोई नहीं

असल में जिसे हम आम जनता समझते है इससे ज़्यादा ताकतवर कोई नहीं। ये चाहे तो नेता को फर्श से अर्श पे ले आये पर उनके इस ताकत का एहसास पाँच साल में एक बार होता है। इसलिये ये आवश्यक है जनता मतदान  को सिर्फ़ अधिकार  नहीं  परंतु कर्तव्य के तौर पर भी देखे। अपने आसपास में किए गये काम के आधार पर मतदान करें। जो वादे किए जा रहे है उसके पूरे होने की कितनी सम्भावना है ये परख ले। धर्म, जाति, समुदाय, रंग इत्यादि पर वोट करने से विकास के कार्य भी जाति, धर्म, समुदाय, रंग के आधार पर ही किया जायेगा । कोई न कोई जाति, धर्म, समुदाय वाले इससे हमेशा वंचित रहेंगे। ऐसा होने पर देश का संपूर्ण विकास कभी नहीं हो सकेगा।

आप मुफ़्त में कैसे दे सकते है और क्यों


जनता को चाहिए अपनी आवाज़ उठाएं अगर कोई पार्टी कहे हम मुफ़्त में बिजली पानी या रासन देंगे तो पूछे के आप मुफ़्त में कैसे दे सकते है और क्यों ? टैक्स  भरने के बावजूद हमें टूटे सड़क जर्जर भवन क्यों झेलना पड़ता है ? टैक्स के पैसे से सरकार ने क्या किया वो जानने का हक़ है हमे आप ख़ुद बताये , सड़क टूटी हो रोड लाइट ना हो या बाढ़ का पानी घर में घुस रहा हो इसके लिए हर बार जनता ही क्यों बोले उस क्षेत्र के नेता ख़ुद ध्यान दे इस पर किसी को मौका ना दे शिकायत करने का ,हमेशा वैसा नेता चुने जो आपकी समस्या को अपनी समस्या समझे आपसे मिले ना के आपसे झूठे वादे करे और समय आने पर मिलने से भी मना कर दे ये सब करने के लिए सबसे अच्छा मौका है चुनाव तो कृपया वोट दे और अपने अधिकार का सदुपयोग करे।
आप भारतीय है और यही आपका धर्म-जाति है

इसलिये जब आप मतदान करने जाये तो यह ध्यान रखे कि आप भारतीय है और यही आपका धर्म-जाति है। अपने पाँचों इंद्रियों के साथ समझदारी से मतदान करें क्यूँकि हर मत का महत्व है।मत करना अधिकार ही नहीं पर कर्तव्य भी है। जैसी प्रजा होगी वैसा ही राजा होगा। एक वोट किसी के लिये अभिशाप तो किसी के लिये वरदान हो सकता है। इसलिये मतदान सोच समझकर करे।
You might also like
1 Comment
  1. Umesh kumar says

    लोकतंत्र के सफलता और सरकार के जागरूकता के लिए मतदान के प्रति जागरूकता बहुत जरूरी है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.