लोकतंत्र का महापर्व पूरे देश में मनाया जा रहा है। ये ऐसा पर्व है जो पाँच वर्ष में एक बार आता है और आम चुनाव में आम जनता ही सबसे ख़ास है।
पूरे पाँच साल जनता से ना किसी को मतलब होता है ना ही कोई झांकने आता है कि वो किन समस्याओं से जूझ रहा है। जनता कैसे महंगाई में गुजारा कर रहा है, कैसे अपने परिवार को चला रहा है, कैसे बेरोजगारी से जूझ रहा है, कैसे बेटी की पढ़ाई और शादी के लिये एक-एक पैसे जोड़ रहा है, कैसे बारिश में घर,फसल को क्षति से बचा रहा है, घर में बूढ़े बूढ़े माँ-बाप को पेंशन समय पर मिल भी रहा है या नहीं?
बेरुखी के लिये कुछ हद तक जनता भी ज़िम्मेदार है
पाँच वर्ष में नेता ईद के चाँद की तरह कभी कभार ही नज़र आते है। चुनाव के समय जनता के सामने हाथ जोड़कर दर-दर वोट माँगते नज़र आते है।विजयी होने के बाद एक मायावी देव की तरह छूमंतर हो जाते है और हम इन मायावी देव को सच का देव मान बैठते है।पर कहीं ना कहीं इस बेरुखी के लिये कुछ हद तक जनता भी ज़िम्मेदार है ।
आम जनता से ज़्यादा ताकतवर कोई नहीं
असल में जिसे हम आम जनता समझते है इससे ज़्यादा ताकतवर कोई नहीं। ये चाहे तो नेता को फर्श से अर्श पे ले आये पर उनके इस ताकत का एहसास पाँच साल में एक बार होता है। इसलिये ये आवश्यक है जनता मतदान को सिर्फ़ अधिकार नहीं परंतु कर्तव्य के तौर पर भी देखे। अपने आसपास में किए गये काम के आधार पर मतदान करें। जो वादे किए जा रहे है उसके पूरे होने की कितनी सम्भावना है ये परख ले। धर्म, जाति, समुदाय, रंग इत्यादि पर वोट करने से विकास के कार्य भी जाति, धर्म, समुदाय, रंग के आधार पर ही किया जायेगा । कोई न कोई जाति, धर्म, समुदाय वाले इससे हमेशा वंचित रहेंगे। ऐसा होने पर देश का संपूर्ण विकास कभी नहीं हो सकेगा।
आप मुफ़्त में कैसे दे सकते है और क्यों
जनता को चाहिए अपनी आवाज़ उठाएं अगर कोई पार्टी कहे हम मुफ़्त में बिजली पानी या रासन देंगे तो पूछे के आप मुफ़्त में कैसे दे सकते है और क्यों ? टैक्स भरने के बावजूद हमें टूटे सड़क जर्जर भवन क्यों झेलना पड़ता है ? टैक्स के पैसे से सरकार ने क्या किया वो जानने का हक़ है हमे आप ख़ुद बताये , सड़क टूटी हो रोड लाइट ना हो या बाढ़ का पानी घर में घुस रहा हो इसके लिए हर बार जनता ही क्यों बोले उस क्षेत्र के नेता ख़ुद ध्यान दे इस पर किसी को मौका ना दे शिकायत करने का ,हमेशा वैसा नेता चुने जो आपकी समस्या को अपनी समस्या समझे आपसे मिले ना के आपसे झूठे वादे करे और समय आने पर मिलने से भी मना कर दे ये सब करने के लिए सबसे अच्छा मौका है चुनाव तो कृपया वोट दे और अपने अधिकार का सदुपयोग करे।
इसलिये जब आप मतदान करने जाये तो यह ध्यान रखे कि आप भारतीय है और यही आपका धर्म-जाति है। अपने पाँचों इंद्रियों के साथ समझदारी से मतदान करें क्यूँकि हर मत का महत्व है।मत करना अधिकार ही नहीं पर कर्तव्य भी है। जैसी प्रजा होगी वैसा ही राजा होगा। एक वोट किसी के लिये अभिशाप तो किसी के लिये वरदान हो सकता है। इसलिये मतदान सोच समझकर करे।
लोकतंत्र के सफलता और सरकार के जागरूकता के लिए मतदान के प्रति जागरूकता बहुत जरूरी है।