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‘अतिरिक्त प्रभार’ और ‘पदस्थापन की प्रतीक्षा’ विचारणीय विषय

शैलेश कुमार सिन्हा

राज्य की प्रगतिशीलता और विकास के लिए राज्य के शीर्ष अधिकारियों को प्रशासनिक व्यवस्था को दायित्व और जिम्मेदार पूर्ण व्यवस्था बनाने के लिए आम जनों के हित का भी ख्याल रखना चाहिए।

राज्यों में कई पदाधिकारी को अतिरिक्त प्रभार में दबाव में काम करना पड़ता है तो दूसरी ओर पदस्थापन के इंतजार में कई विभागों के अधिकारियों को लंबा इंतजार करना पड़ता है जिससे राज्य बगैर कार्य किए हुए अधिकारियों को भुगतान करना पड़ता है।

अंतोगत्वा यह जनता का पैसा ही है सरकार के पास है इसका उपयोग होना चाहिए। पहले तो इंजीनियर डॉक्टर को पदस्थापन की इंतजार करना पड़ता था अब तो प्रशासनिक अधिकारियों को भी का लंबा इंतजार करना पड़ता है। जिससे राज्य के विकास में बाधा पहुंचती है।

अतिरिक्त प्रभार से अधिकारी भी मानसिक दबाव में रहते हैं। जिसका असर उनके कार्य प्रणालियों पर पड़ता है। सरकार को राज्य के विकास और प्रगतिशीलता के लिए इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए जिससे राज्य अपना सर्वांगीण विकास कर सके।

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