मेरा टीवी फिल्म फेस्टिवल का भव्य समापन: फिल्म को ग्लोबल बिज़नेस मॉडल बनाने पर ज़ोर
झारखंड की संस्कृति और क्षेत्रीय सिनेमा को बढ़ावा देने पर हुआ मंथन; विजेताओं को मिला सम्मान
Ranchi: फिल्म निर्माण को सिर्फ़ कला तक सीमित न रखकर, उसे एक सफल बिज़नेस मॉडल में कैसे बदला जाए और फ़िल्मकारों को एक ग्लोबल प्लेटफ़ॉर्म कैसे मिले, इसी उद्देश्य से शुरू हुए मेरा टीवी फिल्म फेस्टिवल का तीसरा और अंतिम दिन शानदार रहा। इस दौरान झारखंड की सांस्कृतिक पहचान, फ़िल्मों के व्यवसायीकरण और क्षेत्रीय सिनेमा को बढ़ावा देने पर ज़ोरदार चर्चा हुई। फेस्टिवल के आखिरी दिन की शुरुआत झारखंड की सांस्कृतिक पहचान ‘छऊ’ नृत्य पर बनी डॉक्यूमेंट्री से हुई। ग्रेट डिजाइंस के विवेक उपाध्याय द्वारा बनाई गई फ़िल्म ‘चैत्र पर्व द छऊ महोत्सव’ की स्क्रीनिंग की गई।
–कंटेंट मोनेटाइजेशन और बिज़नेस मॉड्यूल पर चर्चा
इसके बाद, प्रोड्यूसर बाज़ार के संस्थापक श्री आनंद सागा जी के साथ एक महत्त्वपूर्ण सत्र आयोजित हुआ। डॉ. नेहा तिवारी और ग्रेट डिजाइंस के डायरेक्टर कुमार विवेक ने इस बातचीत को संचालित किया। श्री आनंद सागा ने फ़िल्मों के कंटेंट मॉनिटाइजेशन, कंटेंट लाइसेंसिंग और फ़िल्मों के लिए एक सफल बिज़नेस मॉड्यूल बनाने के पहलुओं पर गहन चर्चा की।
– क्रिएटिव टैलेंट और अवसरों का मंच
इस कड़ी में, YurMe के संस्थापक श्री अभिषेक कुमार जी ने दर्शकों से सीधा संवाद किया। सवाल-जवाब के इस सत्र ने उभरते फिल्मकारों की कई जिज्ञासाओं को शांत किया। YurMe भारत का पहला विशेष मीडिया-और-एंटरटेनमेंट-टेक प्लेटफ़ॉर्म है, जो क्रिएटिव टैलेंट और अवसरों को जोड़ता है। यह प्लेटफ़ॉर्म क्रिएटर्स, स्टूडियो और कंपनियों को AI-पावर्ड टूल्स और स्मार्ट मैचमेकर की मदद से एक मंच पर लाता है।
- स्क्रीन हुईं 10 बेहतरीन प्रतियोगी फ़िल्में
फेस्टिवल में प्रतियोगी फ़िल्मों का प्रदर्शन भी हुआ। इस दौरान 6 शॉर्ट फ़िल्में, 2 डॉक्यूमेंट्री और 2 एआई (AI) फ़िल्मों की खास स्क्रीनिंग की गई।
- झारखंड में फ़िल्म इकोसिस्टम बनाने पर ज़ोरदार पैनल डिस्कशन
अंतिम सत्र में झारखंड में फिल्मों के विकास और फ़िल्मकारों के लिए एक इकोसिस्टम बनाने पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इस पैनल डिस्कशन में संथाली सिनेमा के प्रसिद्ध फिल्मकार श्री दशरथ हांसदा, बंगला फिल्मकार श्री तथागत भट्टाचार्जी, शिक्षाविद डॉ. नेहा तिवारी, स्क्रीन राइटर श्री दाऊद शेख, और
ह्यूमन इन लूप के प्रोड्यूसर श्री बीजू टोप्पो, कथाकार रणेंद्र ने भाग लिया।
बीजू टोप्पो जी ने कहा कि अगर झारखंड की मिट्टी से जुड़ी कहानियों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया जाए तो उनमें वैश्विक स्तर पर पहुंचने की क्षमता है। उन्होंने ‘ह्यूमन इन लूप’ को इसका सटीक उदाहरण बताया। दशरथ हांसदा ने क्षेत्रीय सिनेमा के निर्माताओं से अपील की कि वे बॉलीवुड से प्रभावित होकर अपनी जड़ों को न भूलें, बल्कि अपनी फ़िल्मों में क्षेत्रीय भाषा और संस्कृति को प्रमुखता से दिखाएं।
- विभिन्न श्रेणियों में विजेताओं को किया गया पुरस्कृत
पैनल डिस्कशन के बाद, रंगारंग पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित हुआ, जिसमें विभिन्न श्रेणियों के तहत विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
विजेताओं की सूची
फीचर फिल्म
प्रथम पुरस्कार दहलीज़
द्वितीय पुरस्कार सकं ओरेक
शॉर्ट फिल्म
प्रथम पुरस्कार सूरजमुखी
द्वितीय पुरस्कार ब्लैक गोल्ड
तृतीय पुरस्कार फ़र्क
बेस्ट डायरेक्टर अक्षित पांडे
बेस्ट एक्टर मनीष झा
बेस्ट एक्ट्रेस कोमल ठाकुर/नेहा कर
बेस्ट सिनेमेटोग्राफी सुमित कुमार सिन्हा
बेस्ट एडिटिंग रुद्र एंटरटेनमेंट
बेस्ट स्क्रिप्ट डोना रॉय
जूरी अवॉर्ड रॉकेटशिप । हिप्पी एलियंस । मोर अधिकार
डॉक्यूमेंट्री
प्रथम पुरस्कार सुकन बुरु
द्वितीय पुरस्कार सोहराय
तृतीय पुरस्कार मेराकी
बेस्ट डायरेक्टर अंकुश कसेरा
बेस्ट सिनेमेटोग्राफर फाइंडिंग ग्रैंडपा
बेस्ट एडिटिंग अक्षत गुप्ता
बेस्ट स्क्रिप्ट खुशबू कुमारी
जूरी अवॉर्ड द रेस्क्यूअर । गाछ बाबा
मोबाइल फिल्म
प्रथम पुरस्कार स्लीप वेकअप स्लीप
द्वितीय पुरस्कार लिविंग स्क्रीन
तृतीय पुरस्कार सिटी ऑफ रूइंस
ए आई फिल्म
प्रथम पुरस्कार वर्ल्ड विदाउट अस
द्वितीय पुरस्कार सिंगल यूज़
तृतीय पुरस्कार वर्ल्ड इज़ ब्यूटीफुल
