Ranchi: भाकपा माले राज्य सचिव मनोज भक्त ने प्रधानमंत्री श्री मोदी से माननीय हेमंत सोरेन की बढ़ती नजदीकियों के बारे में आ रही खबरों पर चिंता जताते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को स्वयं इन खबरों के बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। झारखंड के हितों पर लगातार चोट करने वाली भाजपा के साथ किसी भी तरह की समझौता परस्ती राज्य के लिए गंभीर मुसीबत को दावत देना है और आदिवासी हितों की कीमत पर फासिस्ट एवं कॉरपोरेट शक्तियों को छूट देना है। यह हेमंत सरकार को मिले जनादेश के साथ विश्वासघात होगा।
माले राज्य सचिव के अनुसार मोदी सरकार का लक्ष्य संवैधानिक संस्थाओं को काबू में लेने के साथ-साथ देश को विपक्ष विहीन करने का है। एक ओर चुनाव आयोग को गोदी बनाकर मोदी-शाह ने चुनावों को माखौल में बदल दिया है। दूसरी ओर, संसद और विधानसभाओं के विमर्शकारी निर्णायक जनप्रतिनिधि मूलक मंच के चरित्र को खत्म कर इन्हें निरंकुश तानाशाही के औजार में बदल दिया गया है। इस स्थिति में विपक्षी सरकार के बतौर हेमंत सरकार से देश को बड़ी उम्मीदें हैं। हेमंत सरकार का जनादेश की दिशा से विचलन लोकतंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा।
मोदी-शाह विपक्षी नेताओं का भयादोहन कर उन्हें अपने पाले में लाने के लिए ख्यात हैं। पूर्व में इन दोनों को माननीय हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी के बावजूद अडिग रहकर करारा जवाब दिया था और झारखंड की जनता मजबूती से श्री सोरेन के पक्ष में खड़ी रही। उम्मीद की जानी चाहिए कि श्री हेमंत सोरेन इस जनविश्वास को अक्षुण्ण रखेंगे।
झारखंड हमेशा जल-जंगल-जमीन की लूट के खिलाफ अग्रणी ताक़त रहा है। केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की पूर्व रघुवर सरकार ने कॉरपोरेट लूट को तेज करने और आंदोलन कर रहे आदिवासी आंदोलनों के दमन की हर तरह की साज़िश की थी। अंततः भाजपा को झारखंड की सत्ता से हाथ धोना पड़ा। हाल में अडाणी की मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन से मुलाकात ने झारखंडी और लोकतांत्रिक शक्तियों को चिंतित किया है। वर्तमान राजनीतिक स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्वयं हेमंत सोरेन को स्पष्ट बयान देकर आशंकाओं को दूर करना चाहिए।