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सीयूजे के सुदूर पूर्व भाषा (कोरियन) विभाग में मनाया गया हंगुल दिवस

कोरियाई भाषा और संस्कृति के गौरव से विद्यार्थियों को मिलाया गया

Ranchi: झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय ( सीयूजे ) में कोरिया की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उसकी वैज्ञानिक लिपि, हंगुल के गौरव को सम्मान देने के लिए हर साल 9 अक्टूबर को हंगुल दिवस मनाया जाता है। इस अवसर को धूमधाम से मनाने के लिए सीयूजे ने इस वर्ष भी 7 अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक एक विशेष तीन-दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन कर रहा हैं। आज इस कार्यक्रम के समापन समारोह में काफी उत्साह देखा गया।
यह उत्सव कोरियाई भाषा, इतिहास और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाने और छात्रों को इसकी सुंदरता से रूबरू कराने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।

तीनों दिनों के कार्यक्रमों की रूपरेखा इस प्रकार रही:

7 अक्टूबर: प्रतिस्पर्धा और रचनात्मकता का दिन

कार्यक्रम की शुरुआत विभिन्न प्रतियोगिताओं के साथ हुई। इस दिन भाषण, पोस्टर-मेकिंग, कोरियन कैलिग्राफी और स्क्रिप्ट राइटिंग जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। भाषण प्रतियोगिता में द्वितीय वर्ष की छात्रा रिया कुमारी ने प्रथम पुरस्कार जीता। वहीं, पोस्टर-मेकिंग प्रतियोगिता में द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों, शुभम राज, गरिमा कुमारी, सुषाना टोपो और अमन राज ने अपनी कलात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन किया। स्क्रिप्ट राइटिंग प्रतियोगिता में भी प्रथम वर्ष की छात्रा श्रेया सिंह ने हंगुल लिपि में अपनी लेखन क्षमता को दिखाया।

8 अक्टूबर: सिनेमा के माध्यम से इतिहास की झलक

दूसरे दिन, छात्रों के लिए कोरियाई ऐतिहासिक फिल्म ‘ए टैक्सी ड्राइवर’ (A Taxi Driver) का स्क्रीनिंग आयोजन किया गया। यह फिल्म 1980 के ग्वांगजू लोकतंत्र आंदोलन की एक हृदयस्पर्शी कहानी बयां करती है, जिसने छात्रों को कोरिया के लोकतांत्रिक संघर्ष और इतिहास से अवगत कराया

9 अक्टूबर: समापन और सांस्कृतिक उत्सव

तीन दिवसीय उत्सव का समापन 9 अक्टूबर की सुबह एक भव्य समारोह के साथ हुआ। इसकी शुरुआत परंपरागत मशाल जलाकर और मुख्य अतिथि डीन अकादमिक प्रमुख, प्रो. मनोज कुमार, भाषा विभाग के डीन, प्रोफेसर श्रेया भट्टाचार्जी, विभागाध्यक्ष प्रो. रबीन्द्रनाथ शर्मा, सुदूर पूर्व कोरियाई भाषा विभाग के प्राध्यापक, श्री शशि कुमार मिश्रा और श्री पवन द्विवेदी, श्री मुकेश कुमार, अंग्रेजी विभाग, हिंदी विभाग, चीनी विभाग और विभिन्न विभागों के प्राध्यापकों के संबोधन के साथ हुई। १०० से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया। इसके बाद, छात्रों ने मनमोहक कोरियाई सांस्कृतिक नृत्य की प्रस्तुति दी, जिसने सभी का दिल जीत लिया। कार्यक्रम का एक और आकर्षण कोरियाई व्यंजनों का प्रदर्शन था, जहाँ किमची, बिबिमबाप, पजेओन, रेमन, जापचे और ट्टेओकबोक्की जैसे व्यंजनों को दिखाया गया और परोसा गया, और उनके बारे में जानकर उपस्थित लोगों ने कोरियाई पाक संस्कृति का आनंद लिया।
इस आयोजन ने न केवल छात्रों में कोरियाई भाषा के प्रति रुचि जगाई, बल्कि उन्हें कोरिया की गौरवशाली संस्कृति और इतिहास के और करीब लाया। हंगुल दिवस का यह उत्सव वास्तव में कोरिया और भारत के बीच सांस्कृतिक पुल का काम कर गया।

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