रांची: झारखंड में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण से पूर्व भारतीय जनता पार्टी ने आज प्रदेश स्तरीय मीडिया सेंटर में तीन बड़े मुद्दे उठाये हैं। पहला मुद्दा ‘पोलिटिकल जिहाद’ और दूसरा मुद्दा ‘टेंडर घोटाले के आरोप में गिरफ्तार राज्य के संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम के इस्तीफे में विलम्ब’ और तीसरा ‘आलमगीर आलम का बांग्लादेशी कनेक्शन’.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने आज मारू टावर स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस वार्ता करते हुए सत्तारूढ़ गठबंधन पर पॉलिटिकल जिहाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। प्रतुल ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के एक तबके के द्वारा भोली भाली आदिवासी लड़कियों को प्रेम जाल में फांसकर विवाह किया जाता है।बाद में आदिवासियों के लिए आरक्षित मुखिया, जिला परिषद, पंचायत ,सरपंच की सीटों पर उन्हें लड़ा कर सत्ता पर काबिज होने का पॉलिटिकल जिहाद होता है। उसके बाद से इस आदिवासी महिला की भूमिका को कम किया जाता है और सारा कामकाज उसके मुस्लिम पति देखने लगते हैं। प्रतुल ने पाकुड़ जिले के असंख्य उदाहरण देते हुए राज्य के दूसरे जिलों का भी उदाहरण दिया।
उन्होंने बताया की पाकुड़ जिले में ऐसे कई दर्जन उदाहरण हैं जिस पर इन मुस्लिम कट्टरपंथियों ने अपनी आदिवासी पत्नियों को चुनाव जीता कर सत्ता में काबिज होने का षड्यंत्र रचा है।इनमें से कुछ ने तो इन भोली भाली आदिवासी बेटियों को फंसा कर दूसरी और तीसरी पत्नी के रूप में रखा हुआ है।प्रतुल ने पाकुड़ का उदाहरण देते हुए कहा कि लालू शेख, ख्यार शेख, महबूब आलम, आजाद मियां, वकील मंसूरी, उम्मेद अली अंसारी, अब्दुस शमीम, आजाद अंसारी, सागिर अंसारी, मोहम्मद शेख, हजरत अली कई दर्जन ऐसे मुस्लिम युवक हैं जिन्होंने अपनी आदिवासी बेटियों को अपने मोह जाल में फंसा कर विवाह किया।फिर इन पत्नियों को विभिन्न स्तरों के चुनाव में लड़वाया और कई मामलों में जितवाया भी और उनके जरिए पॉलिटिकल जिहाद कर सत्ता पर काबिज हो गए।प्रतुल ने राज्य के दूसरे हिस्सों का भी उदाहरण देते हुए कहा कि तबारक अंसारी, इकरामुल अंसारी, मोइन अंसारी, रब्बुल अंसारी, शाहबुद्दीन शेख, शाहजहां शेख, टीपू अंसारी जैसे लोगों ने भी राज्य के अन्य हिस्सों में पॉलीटिकल जिहाद किया है। ऐसे 200 से ज्यादा लोगों की सूची है जो पॉलिटिकल जिहाद के जरिए सत्ता पर काबिज हुए हैं या काबिज होने की कोशिश की है।
प्रतुल ने कहा कि जब उनकी सरकार बनेगी तो गृह मंत्रालय से पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करेंगे की कहीं इन आदिवासी बेटियों को प्रताड़ित तो नहीं किया जा रहा है।
प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने आलमगीर आलम को अविलंब इस्तीफा देने के लिए कहा कि झारखंड में केजरीवाल मॉडल नहीं चलेगा और करोड रुपए की बरामदगी से आलमगीर आलम के तार सीधे तौर पर जुड़े होने के सबूत ईडी को मिले हैं। ईडी ने अपने रिमांड में भी इसका उल्लेख किया है।
प्रतुल ने कहा कि आलमगीर आलम के बांग्लादेश में लंबे समय से रह रहे अरबपति भाई जहांगीर आलम के भी चल-अचल संपत्ति और कंपनियों की ईडी जांच करें।प्रतुल ने कहा कि आलमगीर आलम का 90 के दशक में राजनीतिक उदय और उनके भाई जहांगीर आलम का बांग्लादेश इस दौरान शिफ्ट करना और खाक से शीर्ष तक पहुंचाने की कहानी की गहन जांच की आवश्यकता है।प्रतुल ने कहा कि जैसे-जैसे आलमगीर आलम का कद बढ़ता गया वैसे ही उनके भाई का वित्तीय साम्राज्य बढ़ता गया। आज वह अरबों रुपयों के मालिक हैं, और राइस, जुट और दवा से जुड़े व्यापार में सम्मिलित हैं।
प्रेस वार्ता में प्रदेश सह मीडिया प्रभारी अशोक बड़ाईक एवं तारिक इमरान भी उपस्थित थे।
भाजपा द्वारा कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य के संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ़्तारी के बावजूद इस्तीफे नहीं दिए जाने पर आपत्ति जताने पर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सोनाल शांति कहा कि मंत्री पद से इस्तीफा देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है और इससे किसी भी जांच पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
उन्होंने कहा कि एजेंसी जांच करने के लिए स्वतंत्र है और इस मामले में भाजपा नेताओं को सलाहकार और मार्गदर्शक बनने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने ने कहा कि यह देश संविधान और कानून से चलता है जिसकी धज्जियां भाजपा पिछले एक दशक से उड़ाते आ रही है लेकिन चुनाव परिणाम संविधान के साथ खिलवाड़ करने की मंशा रखने वाले लोगों के मुंह पर करारा तमाचा साबित होगा।
भाजपा के पॉलिटिकल जिहाद वाले बयान पर उन्होंने ने कहा की वर्तमान आम चुनाव में निश्चित हार की ओर बढ़ चुकी भाजपा धीरे-धीरे अपने वास्तविक रंग में आ रही है और बचे हुए चरणों के चुनाव में धार्मिक उन्माद का रंग भरने का प्रयास कर रही है। भाजपा के नेता मानसिक विकृति का शिकार हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि देश और झारखंड में डबल इंजन की जब भाजपा की सरकार चल रही थी तब उसे ऐसे मामले नजर नहीं आए और झारखंड में अपनी हो रही दुर्गति के बाद उन्हें आदिवासी समुदाय की चिंता सता रही है।
झारखंड का आदिवासी समुदाय वर्तमान महागठबंधन की झारखंड सरकार में पूरी तरह सुरक्षित है और पूरी तरह से इंडिया गठबंधन के साथ है। भाजपा के कुत्सित मंशा को जब इस समुदाय ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है तब ये आदिवासी- मुस्लिम भाईचारे को तार-तार कर झारखंड में बचे चरणों के चुनाव में अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना चाहते हैं।
भाजपा नेता गिरगिट से भी ज्यादा खतरनाक है जो हर पल रंग बदलते रहते हैं। इनका आदिवासी प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह झारखंड का लगातार दौरा कर रहे हैं लेकिन केंद्र द्वारा लटकाए गए सरना धर्म कोड बिल के बारे में कुछ नहीं बोल रहे हैं। उनकी हताशा का आलम यह है कि चुनाव में जीत हासिल करने के लिए देश को धार्मिक युद्ध का रणक्षेत्र बनाना चाहते हैं लेकिन जनता खामोश रहकर उनकी करतूतों को देख और सुन रही है।