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त्योहारों से नवचेतना का संचार होता है और सुपुप्त शक्तियां जागृत होती हैं: सज्जन पाडिया

श्रावण महीने के पावन अवसर पर पवित्र रक्षा बन्धन कार्यक्रम

राँची: त्योहारों से नवचेतना का संचार होता है और सुपुप्त शक्तियां जागृत होती हैं। ये उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवा केन्द्र चौधरी बगान हरमू रोड में रखा बन्धन कार्यक्रम में उपस्थित राँची जिला मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष सज्जन पाडिया द्वारा व्यक्त किए .

उहोंने कहा कि रक्षा बन्धन के बन्धन में सभी बन्धन आ जाते हैं कि जब हम ईश्वर के प्रेम व मर्यादाओं के बन्धन में बंध जाते हैं तो विकारों और तमाम प्रकार की बुराइयों के बन्धन से मुक्त हो जाते हैं। विकारों से मुक्त होने और अनैतिकता से दूर रहने से स्वतः ही हमारी रक्षा होने लगती है। ऐसे ही यही अदृश्य सत्ता परमात्मा की शक्ति है जो अपनी शिक्षाओं के द्वारा ही हमारी रक्षा करता है।

कार्यक्रम में उपस्थित निर्मल बुद्धिया राँची जिला मारवाड़ी सम्मेलन के महामंत्री ने कहा यह त्योहार न केवल पवित्रता की रक्षा करता है, बल्कि सांसारिक आपदाओं से भी बचाव करता है।

कार्यक्रम में उपस्थित वसंत कुमार मित्तल समाजसेवी ने कहा कि न्यारा और प्यारा बन्धन है यह रक्षा बन्धन। रक्षा बन्धन भाई-बहन के रिश्ते का एक अनूठा त्यौहार है, जो ईश्वरीय और धार्मिक महत्व को दर्शाता है।

डा० श्रीना सेनगुप्ता ने कहा कि मानवीय स्वभाव से ही स्वतंत्रता प्रेमी है। वह जो बात को बन्धन समझता है, उससे छुटने का प्रयास करता है। परन्तु रक्षा बन्धन को बहनें और भाई, त्यौहार अथवा उत्सव समझकर खुशी से मनाते हैं। यह एक न्यारा और प्यारा बन्धन है। बन्धन दो प्रकार के होते हैं एक ईश्वरीय और दूसरा सांसारिक अर्थात् कर्मों के बन्धन। ईश्वरीय बन्धन से मनुष्य को सुख मिलता है परन्तु दूसरे प्रकार के बन्धन से दुख की प्राप्ति होती है। रक्षा बन्धन ईश्वरीय बन्धन, आध्यात्मिक बन्धन अथवा धार्मिक बन्धन है परन्तु आज लोगों ने इसे एक लौकिक रसम बना दिया है।

कार्यक्रम में उपस्थित सुनील गुप्ता स्टेट बैंक से सेवा निवृत्त एजीएम ने कहा कि रस्मों का भी अपना आध्यात्मिक रहस्य है। तिलक आत्मिक स्मृति दिलाता है और गुणग्राही बन कर सर्व की गुणों को देखने की प्रेरणा देता है। मिठाई मीठे बोल व व्यवहार का प्रतीक

केन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि यह पर्व ऐसे समय की याद दिलाता है जब परमात्मा ने प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा कन्याओं-माताओं को ब्राह्मण पद पर आसीन कर भाई बहन के सम्बंध की पवित्रता की स्थापना का कार्य किया जिसके फलस्वरूप सतयुगी पवित्र सृष्टि की स्थापना हुई।

रक्षा बन्धन केवल स्थूल तन की रक्षा का ही नहीं बल्कि आपदाओं, सतीत्व, माया के बन्धन और काल के पंजे से रक्षा का प्रतीक है। सच्ची राखी सूक्ष्म शुद्ध वृत्तियों को धारण करने का वह बन्धन है जो मन बचाव कर्म को पापों से मुक्त कर देता है। देश में आज अनेक प्रकार के पापाचार व हिंसक कार्य हो रहे हैं तो उनसे स्व की व सर्व की रक्षा करने के लिए यह राखी बन्धन का रिवाज पवित्र पवित्र परमात्मा ने पवित्रता की प्रतिज्ञा करने वाला है।

उन्होंने कहा कि पांच लड़ियों की सुन्दर राखी है स्व रक्षक, कुल रक्षक, सेवा रक्षक, मर्यादा रक्षक तथा राष्ट्र व विश्व रक्षक। कोई भी लड़की ढीली होने से समाज की मर्यादा भंग होकर आपसी सम्बंधों में विकृति आती है। ऐसे मर्यादा भंग के समय में भगवान स्वय रक्षक बनकर आते हैं तथा मानवता के हृदय की समस्त कलुपित वासनाओं को परिष्कृत करते हैं। यह रक्षासूत्र दुखद मानसिक ग्रन्थियों का निराकरण कर आत्मा की मलीन ज्योति को प्रज्ज्वलित कर देता है। ब्रह्मचर्य के बल से ही हमारे पर्व दी- देवताओं ने मृत्यु पर विजय प्राप्त कर अमर देव पद प्राप्त किया था। यह पवित्र बन्धन अनेक बन्धनों के साथ-साथ मृत्युर्पाश तक का नाश करता है। ऐसा पवित्र बन्धन जो बाँधते हैं विश्व रक्षक परमात्मा की रक्षा का हाथ सदा छत्रछाया के रूप में उनके मस्तक पर रहता है।

इस पावन बंधन को अनेक भाईयों ने बाँधाया। आत्मिक स्थिति में लाने के लिए सभी को तिलक लगाया गया, मंगल जीवन जीने हेतु सभी का मुख मीठा कराया गया। समारोह में गीत बज रहे थे “दिव्य गुणों से सजी सजायी भैया बहना राखी लायी” “परमापिता की ओर भैया बंधवा लो रक्षा बंधन–मधुर–मधुर मर्यादायों का लो पहनों पावन कंगन” आदि–आदि। राखी के साथ दिव्य वरदान सूत्र भी बाँटे गए जिसमें लिखा हुआ था “दिल साफ तो मुराद हासिल” “पवित्रता ही मानव जीवन का श्रृंगार है” आदि आदि। कार्यक्रम में रामलाल विजय व्यवसायी एवं अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

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