Ranchi: कांके प्रखंड स्थित नगड़ी में कृषि योग्य भूमि पर रिम्स-2 के निर्माण से संबंधित प्रस्तावित योजना को लेकर ग्रामीणों ने पूर्व में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति (एनसीएसटी) की सदस्य डा. आशा लकड़ा से शिकायत की थी। शनिवार को ग्रामीणों की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए डा. आशा लकड़ा नगड़ी पहुंची और ग्रामीणों से पूरे मामले की जानकारी ली।
उन्होंने बताया कि पिछले दिनों नगड़ी के रैयत उनसे मिलने आए थे। आयोग के समक्ष उन्होंने बताया था कि यह मामला बहुत ही गंभीर है। जमीन के अलावा उनके पास खेती लायक कोई जमीन नहीं है। नगड़ी में कृषि योग्य भूमि पर रिम्स-2 का निर्माण कराने की योजना बनायी जा रही है। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों के अनुसार, कांके से नगड़ी की ओर पूर्व क्षेत्र में 202 एकड़ व पश्चिमी क्षेत्र में 25 एकड़ भूमि है। इस भूमि के मालिक लगभग 250 परिवार हैं।
यदि इस भूमि पर रिम्स-2 का निर्माण करा दिया जाएगा तो जब उन रैयतों की मृत्यु होगी तो उनके अंतिम संस्कार के लिए भी जमीन नहीं मिलेगी। अनुसूचित जनजाति के लोगों का जीवनयापन जल, जंगल व जमीन से जुड़ा है। जब जमीन ही खत्म हो जाएगा तो धान का भंडारण व खाने-पीने की सुविधा कहां से आएगी। खेती के लायक जमीन होगा ही नहीं।
इसी प्रकार स्थानीय लोगों के पास आय का भी कोई स्रोत नहीं होगा। ऐसे में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी कि वे दूसरों के घर में नौकर का काम करने के लायक हो जाएंगे।निरीक्षण के दौरान यह बात भी सामने आई कि साल 2011 तक गांव वालों ने संबंधित जमीन का रसीद कटाया है।साल 2012 के बाद संबंधित जमीन की रसीद नहीं कटी है।
सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत भी ग्रामीणों ने जमीन से संबंधित कागजात की मांग की थी। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत उन्होंने संबंधित विभागीय अधिकारी से पूछा था कि उनकी जमीन का अधिग्रहण कब किया गया है। जबकि हकीकत यह है संबंधित विभाग को जमीन अधिग्रहण से संबंधित कोई जानकारी ही नहीं है। यदि जमीन अधिग्रहण की बात की जाती है तो इसके लिए कानून भी है। कानूनी प्राविधान के तहत यदि रैयत ने किसी जमीन को दे भी दिया है, लेकिन पांच साल तक संबंधित जमीन पर निर्माण कार्य नहीं कराया गया तो संबंधित जमीन स्वत: रैयत का हो जाता है।
आयोग ने इस मामले को संज्ञान में लिया है।आयोग की ओर से एक रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार, राष्ट्रपति व गृह विभाग को भेजा जाएगा।जब जमीन ही खत्म हो जाएगा तो कांके स्थित नगड़ी की जनता, जो आदिवासी समुदाय के लोग हैं, उनका अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। वे भूमि विहीन हो जाएंगे। उन्हें पलायन करने पर मजबूर कर दिया जाएगा। वहां की जनता बहुत ही त्रस्त है।
अभी वहां धान लगाने का समय है, लेकिन वे धान की खेती करने में असमर्थ हैं। प्रशासन की ओर से उन्हें संबंधित जमीन पर खेती करने से रोक लगा दी गई है। ग्रामीण भटक रहे हैं। उन्होंने धान की खेती के लिए सड़क पर बिचड़ा तैयार किया है, ताकि अपने-अपने खेतों में धान का बिचड़ा लगा सकें। प्रशासन की ओर से उनपर केस-मुकदमा भी किया गया है।
कई लोगों को जेल भी भेजा गया था। हालांकि अब वे जेल से बरी हो चुके हैं।अब वे अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। आयोग की ओर से आदिवासी समाज के संरक्षण व सुरक्षण के लिए कार्रवाई की गई है। आगे की कार्रवाई के लिए आयोग की ओर से संबंधित लोगों को जल्द ही नोटिस जारी किया जाएगा।
डा. आशा लकड़ा ने राज्यपाल से की चर्चा
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) की सदस्य डा. आशा लकड़ा ने शनिवार को पांच सदस्यीय टीम के साथ राजभवन में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से शिष्टाचार भेंट की। इस क्रम में उन्होंने राज्यपाल से पेसा कानून, कृषि योग्य भूमि पर रिम्स-2 के निर्माण व आयोग की ओर से आदिवासी समाज से संबंधित मामलों पर की जा रही कार्रवाई पर चर्चा की।