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नगड़ी मौजा में खेतीयोग्य खतियानी जमीन का रिम्स-2 निर्माण के लिये अधिग्रहण अनुचित : बंधु तिर्की

रांची: पूर्व मंत्री, झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि नगड़ी मौजा में खेती कर अपना जीवन-यापन कर रहे रैयतों एवं ग्रामीणों की जमीन का रिम्स-2 के लिये अधिग्रहण वैसी नकारात्मक और विकास विरोधी कार्रवाई है जिसे हर हाल में रद्द किया जाना चाहिये.

राजधानी के मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाक़ात के दौरान तिर्की ने उनसे अपील की कि वे नगड़ी में किये जा रहे रिम्स-टू के निर्माण की योजना को अविलंब रद्द करने के लिये सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित करें क्योंकि यह उन ग्रामीणों के जीवन-यापन से सीधे-सीधे जुड़ा मामला है जो सरकार की ओर बहुत भरोसे के साथ देख रहे हैं.

तिर्की ने कहा कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में काम कर रही इंडिया गठबंधन की सरकार ने आम लोगों के हित में वैसे अनेक कदम उठाये हैं जिससे एक ओर लोगों को तुरंत फायदा मिला है वहीं दूसरी ओर दूरगामी स्तर पर भी झारखण्ड के विकास और लोगों की आर्थिक उन्नति के दरवाजे खुले हैं.

तिर्की ने कहा कि कभी आईआईएम तो कभी ट्रिपल आईटी या फिर राष्ट्रीय उच्च पथ के चौड़ीकरण के लिये ग्रामीणों की खेती योग्य जमीन का अधिग्रहण करने के अनेक प्रयास किये गये लेकिन ग्रामीणों के प्रबल विरोध और उनकी न्यायोचित मांगों के बाद वे योजनायें तो रद्द हो गयी लेकिन अब जिस प्रकार से रिम्स-टू के निर्माण के लिये ज़मीन अधिग्रहण की साज़िशें रची जा रही है वह पूरी तरीके से लोकप्रिय सरकार की आम ग्रामीणों एवं कृषकों के प्रति संवेदनशील भावना के खिलाफ है.

तिर्की ने कहा कि आनुपातिक रूप से नगड़ी अंचल में आबादी अनुपात में खेती योग्य जमीन पर्याप्त नहीं है साथ ही महत्वपूर्ण बात यह भी है कि वहाँ के अधिकांश लोग जीवन-यापन के लिये खेती-किसानी के ऊपर ही निर्भर हैं और वहाँ की ज़मीनी स्थिति को न केवल स्वयं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बल्कि स्वयं गुरुजी शिबू सोरेन भी बखूबी जानते हैं साथ ही लोगों की आवश्यकताओं को भी वे अच्छी तरीके से समझते हैं.

तिर्की ने सोरेन से कहा कि पिछले 17 मई को रिम्स-2 के लिये सरकारी अमीन द्वारा ज़मीन की मापी होता देख रैयतों एवं ग्रामीणों को इसकी जानकारी मिली जबकि 1956-57 से लेकर 2012 तक सरकार द्वारा इस ज़मीन की मालगुजारी रसीद रैयतों के नाम पर जारी की जाती रही है.

मुख्यमंत्री से हुई भेंट के दौरान तिर्की ने उनसे अपील की कि पेसा नियमावली को अविलंब अंतिम स्वरूप देकर पेसा कानून को लागू किया जाये क्योंकि यह ग्रामीणों की आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं से गहराई से जुड़ा मामला है. साथ-साथ, जल, जंगल, जमीन के साथ झारखण्ड के प्राकृतिक एवं मानव संसाधनों से सम्बंधित बहुत अधिक संवेदनशील मुद्दा है. श्री तिर्की ने कहा कि पेसा कानून लागू होने से विस्थापन, पलायन व ज़मीन लूट पर नियंत्रण में भी सहायता मिलेगी.

तिर्की ने मुख्यमंत्री से टाना भगत समुदाय की निराशाजनक आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में सुधार करने के लिये प्रभावी कदम उठाने की भी अपील की.
श्री तिर्की ने कहा कि अनुसूचित जनजाति श्रेणी में आनेवाले टाना भगत समुदाय के सदस्य रांची, सिमडेगा, लोहरदगा, गुमला, खूँटी, चतरा, लातेहार सहित झारखण्ड के अन्य जिलों में रहते हैं और ये महात्मा गांधी के अनुयायी होने के साथ-साथ अहिंसा में परम विश्वास रखते हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि सत्याग्रह आंदोलन के साथ ही ब्रिटिश सरकार और जमींदारी प्रथा के विरुद्ध भी उनके द्वारा किये गये आंदोलन इतिहास में अपना स्थान रखते हैं लेकिन टाना भगत समुदाय और प्रदेश के टाना भगत बहुल क्षेत्रों का अपेक्षित विकास अबतक नहीं हुआ है.

तिर्की ने मुख्यमंत्री से 28 अप्रैल 2017 को गठित टाना भगत विकास प्राधिकार की चर्चा की और कहा कि अबतक यह प्राधिकार अपने उद्देश्यों में असफल रहा है और जिम्मेदारियों का आशिक निर्वहन भी नहीं कर पाया है. श्री तिर्की ने कहा कि टाना भगत विकास प्राधिकार के तहत ही राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव अथवा सचिव की अध्यक्षता में एक कार्यकारिणी समिति के गठन के साथ ही जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में कार्यकारी एजेंसी के गठन का भी प्रावधान था और इसका उद्देश्य टाना भगतों के लक्षित आर्थिक एवं सामाजिक सर्वेक्षण के साथ ही इस समुदाय के सर्वांगीण विकास हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर कार्यान्वित करना और लाभुकों का चयन करना था. श्री तिर्की ने मुख्यमंत्री से अपील की कि ज़मीनी स्तर पर प्राधिकार को प्रभावी बनाने एवं टाना भगतों के विकास के लिये वे सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित करें.

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