Ranchi: स्वास्थ्य, चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग ने राज्य के सभी उपायुक्तों एवं सिविल सर्जनों को पत्र लिखकर कहा है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के संज्ञान में सुसंगत पत्र के माध्यम से लाया गया है कि कुछ अस्पताल/स्वास्थ्य सुविधाएं बिल लंबित होने के आधार पर उपचार के बाद मृतक के शव को उसके परिजनों को सौंपने से इंकार कर रहे हैं। अस्पतालों/स्वास्थ्य सुविधाओं का यह कृत्य शोकाकुल परिजनों को अनावश्यक मानसिक पीड़ा पहुंचाता है तथा नैतिक एवं मानवीय सिद्धांतों की अवहेलना करता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने मरीजों की शिकायतों के समाधान एवं चिकित्सा सेवाओं में सुधार के लिए “क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट (पंजीकरण एवं विनियमन) अधिनियम, 2010” के अंतर्गत “मरीजों के अधिकार एवं दायित्व चार्टर” प्रख्यापित किया है। इसके साथ ही स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने उक्त चार्टर को सभी चिकित्सा संस्थानों में प्रदर्शित करने का भी अनुरोध किया है।
चार्टर के अनुसार, अस्पतालों द्वारा किसी भी कारण से मरीज के शव को सौंपने से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस संबंध में विभागीय बैठकों में भी निर्देश दिए गए हैं।
उपर्युक्त के आलोक में भारत सरकार ने उक्त अधिनियम के तहत सभी चिकित्सा संस्थानों को लागू कानूनी और नैतिक दिशा-निर्देशों का अनुपालन करने और मृत्यु के बाद शव को शीघ्र और सम्मानजनक तरीके से सौंपने का निर्देश दिया है।
अतः, उपरोक्त के आलोक में, यह निर्देशित किया जाता है कि आपके नियंत्रण में सभी अस्पतालों / चिकित्सा संस्थानों को उक्त अधिनियम / चार्टर के अनुसार नियमों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए। साथ ही, अपने स्तर पर उक्त अधिनियम / चार्टर का अनुपालन सुनिश्चित करें।