“हाथी उड़ाने वाले लोग अब उद्यम की बात न करें – झारखंड को प्लेट धोने भेजने वालों को अब आदिवासी नेतृत्व की उड़ान हजम नहीं हो रही”
– आलोक कुमार दूबे महासचिव झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमिटी
Ranchi: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव आलोक कुमार दूबे ने भाजपा के उस बयान पर तीखा प्रहार किया है, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की स्वीडन और स्पेन यात्रा को ‘कैमरा लेकर घूमने की यात्रा’ करार दिया।
यह बयान केवल निम्न स्तरीय राजनीति का उदाहरण नहीं, बल्कि भाजपा की गहरी बैठी हुई आदिवासी विरोधी मानसिकता का प्रमाण है।
भाजपा और बाबूलाल जी को यह याद रखना चाहिए कि यही भाजपा सरकार वर्षों तक झारखंड के आदिवासी युवाओं को ‘प्लेट धोने’ और श्रमिक के रूप में अलग अलग हिस्सों मेंङभेजने की योजनाएं बनाती रही और आज जब एक आदिवासी मुख्यमंत्री दुनिया भर से उद्योग, तकनीक और निवेश की बात कर रहा है, तो इन लोगों को मिर्ची लग रही है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की स्वीडन और स्पेन यात्रा एक सोच, एक विजन, और झारखंड के भविष्य को गढ़ने की दिशा में ठोस कदम थी, न कि ‘पर्यटन’ जैसा कि भाजपा कह रही है। जब प्रधानमंत्री अरबों रुपये विदेशी दौरों में खर्च करें तो वह ‘डिप्लोमेसी’ और जब एक आदिवासी मुख्यमंत्री वैश्विक मंच पर झारखंड को ले जाए तो वह ‘फिजूलखर्ची’? यह दोहरी मानसिकता नहीं तो और क्या है?
प्रधानमंत्री जब अमेरिका जाते हैं तो अडानी को भी अपने साथ ले जाते हैं — क्या वह भी पर्यटन है या कॉर्पोरेट सौदों का नया रूप? भाजपा को यह जवाब देना चाहिए कि जब निजी उद्योगपतियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाया जाता है,वह भी भ्रष्टाचार के आरोपी तो वह राष्ट्रहित कहलाता है, लेकिन जब एक आदिवासी मुख्यमंत्री राज्य के लिए संभावनाएं तलाशता है तो वह अपव्यय बन जाता है?
प्रतुल शाहदेव की यह बात कि “यह दौरा ₹2.75 लाख में हो सकता था, लेकिन एक-एक व्यक्ति ने ₹50 लाख उड़ाए” – एक पूरी तरह से मनगढ़ंत, झूठी और गुमराह करने वाली टिप्पणी है। क्या भाजपा के पास कोई अधिकारिक दस्तावेज हैं इस आंकड़े के ?यह वही पार्टी है जो बिना सबूत के झूठ को 100 बार दोहराकर सच बनाना चाहती है?
जहां तक फुटबॉल क्लब और जर्सी की बात है – यह भाजपा की वैचारिक दरिद्रता का प्रमाण है। जब नेता राज्य के युवाओं को खेल, संस्कृति और वैश्विक जुड़ाव के लिए नई दिशा देना चाहते हैं, तब भाजपा को जर्सी की चिंता सताने लगती है। यही पार्टी कभी ट्रैक्टर की जगह ट्रेन पर बैठकर खेती सिखाती थी, अब वही लोग हेमंत सोरेन की विजनरी यात्रा पर तंज कस रहे हैं।
और जो कहते हैं कि वोल्वो का इंजन बेंगलुरु में मिल जाता – उनसे पूछना चाहिए कि फिर भाजपा शासन में हर छोटी-बड़ी चीज के लिए मंत्री, सांसद और अफसर विदेश क्यों जाते थे? क्या दिल्ली में ही सब कुछ नहीं मिल जाता?
सच यह है कि भाजपा को झारखंड का कोई विकास रास नहीं आता, खासकर जब वह विकास एक आदिवासी नेतृत्व के हाथों हो रहा हो। आदिवासी मुख्यमंत्री के हाथों जब झारखंड ग्लोबल स्टेज पर पहुंच रहा है, जब यहां के युवाओं को तकनीक, उद्योग, स्टार्टअप और शिक्षा के लिए अवसर मिल रहे हैं – तब भाजपा की राजनीति की जमीन खिसक रही है।
भाजपा नेताओं को एक बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए – झारखंड अब झुकेगा नहीं, चमकेगा। और भाजपा की ओछी बयानबाज़ी, इस चमक को रोक नहीं सकती।