कांग्रेस ने हमेशा आदिवासियों को किया सशक्त और उत्थान दिलायी पहचान : बंधु तिर्की
नयी दिल्ली के इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट में जनजातीय समाज की बैठक में शामिल हुए बंधु तिर्की, कांग्रेस अध्यक्ष के सलाहकार प्रणव झा भी बैठक में मौजूद.
रांची 14 फरवरी. पूर्व मंत्री, झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि आदिवासियों के सशक्तिकरण, उनके उत्थान के साथ-साथ उनकी पहचान के लिये भी कांग्रेस ने जितना अधिक काम किया है उसकी बराबरी भारत में कोई भी राजनीतिक दल नहीं कर सकता. श्री तिर्की ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस ने ही देश के आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक विकास का आधार तैयार किया और अब भी देश की आकांक्षाओं के अनुरूप कांग्रेस ही देश को आगे ले जा सकती है.
आज नयी दिल्ली के इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट में जनजातीय समाज के बुद्धिजीवियों की आयोजित एक बैठक को संबोधित करते हुए श्री तिर्की ने कहा कि कांग्रेस देश में एकमात्र वैसी पार्टी है जो सभी सभी धर्म, समुदाय और भाषा-भाषियों के साथ-साथ आदिवासियों को भी हमेशा साथ लेकर चलती है और पूरे देश का समग्र विकास चाहती है.
इस बैठक में बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सलाहकार प्रणव झा ने कहा कि वर्तमान चुनावी राजनीति में कांग्रेस ने भले ही उतना बेहतर प्रदर्शन नहीं किया हो और स्थिति निराशाजनक लगती हो लेकिन हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिये कि यह केवल एक पड़ाव है और निराशा के बीच विश्वास और भरोसे की बात यही है कि कांग्रेस का जनाधार लगातार फैल रहा है और लोग कांग्रेस की राष्ट्रीय हित की राजनीति को समझ रहे हैं.
आज की बैठक में नयी दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रहने वाले जनजातीय समाज के अनेक बुद्धिजीवियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और अपने-अपने विचार व्यक्त किये. सभी का जोर इस बात पर मजबूती के साथ था कि कांग्रेस को अपने जनाधार में फैलाव के लिये सशक्त कदम उठाना चाहिये. आज की महत्वपूर्ण बैठक में मुख्य रूप से एम. पी. तिर्की, विजय टोप्पो, सारण, आशीष, सुशील सुशील पन्ना, कामिल टोपनो, जेम्स दीपक भेंगरा, नीलय केरकेट्टा, जिसुता बिलुन्ग, लक्ष्मण नायक परांजये, करुणा मिंज, प्रेम लता लकड़ा, अनीश खाका, टिंटियस मिंज, बिवियाना तिर्की, पुष्पप्रिका कुज़ूर, विनोद खलको, अरविंद लकड़ा, आशीष एक्का, सविता एक्का, आशुतोष कुमार, मनोज गोंड सहित जनजातीय समाज के बुद्धिजीवियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया.