भाजपा को झारखंड में मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति का रास्ता साफ करने के लिए विपक्ष के नेता का चयन करने का निर्देश
रांची: झारखंड में भाजपा को जल्द ही अपने विधायक दल के नेता का चयन करना होगा। विधानसभा चुनाव खत्म होने के एक महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी भाजपा विधायक दल के नेता का चुनाव नहीं कर पाई है, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा को अपने विधायकों का नेता चुनने का निर्देश दिया है।
दरअसल, राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति का मामला लंबे समय से लंबित है। सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए विधानसभा में विपक्ष के नेता का होना जरूरी है। सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने भाजपा को नेता प्रतिपक्ष का नाम जल्द तय करने का निर्देश दिया है, ताकि सूचना आयुक्तों का चयन किया जा सके। विधानसभा चुनाव के बाद से ही यह पद खाली है।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता के नहीं होने के कारण चयन समिति की बैठक नहीं हो पा रही है। इन महत्वपूर्ण नियुक्तियों को अंतिम रूप देने के लिए यह बैठक जरूरी है। नेता प्रतिपक्ष चयन समिति का अहम सदस्य होता है, लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद से यह पद खाली है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा को निर्देश दिया कि वह अपने किसी निर्वाचित सदस्य को झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष मनोनीत करे।
मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “चयन समिति तीसरे सप्ताह से चयन प्रक्रिया शुरू करेगी और छह सप्ताह के भीतर इसे पूरा करने का प्रयास करेगी। चयन समिति से सिफारिशें मिलने के एक सप्ताह के भीतर नियुक्तियां की जाएंगी।” अदालत ने मुख्य सचिव को इस निर्देश के अनुपालन की पुष्टि करते हुए हलफनामा दाखिल करने का भी आदेश दिया। राज्य सूचना आयोग 2020 से निष्क्रिय है मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि झारखंड का सूचना आयोग 2020 से निष्क्रिय है। मुख्य सूचना आयुक्त समेत कई पदों के रिक्त रहने के कारण आरटीआई से संबंधित हजारों मामले लंबित हैं। इस पर झारखंड सरकार के वकील ने दलील दी कि चयन समिति में कोरम के अभाव के कारण नियुक्तियों में देरी हुई है। वहीं, राज्य के पूरक हलफनामे में कहा गया है कि इन पदों के लिए विज्ञापन जून 2024 में जारी किया गया था। लेकिन, नेता प्रतिपक्ष की अनुपस्थिति के कारण प्रक्रिया बाधित हो गई।