Ranchi: आज ऐतिहासिक जगन्नाथपुर मंदिर का 334वा वार्षिक महोत्सव बहुत धूमधाम से मनाया गया .
बडकागढ़ रियासत के राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने 1691 ईस्वी में जगन्नाथपुर मंदिर की स्थापना की। जंगल से आच्छादित राज्य हिंदू के चार धाम में से एक धाम जगन्नाथपुर मंदिर के रूप में बड़कागढ रियासत में बनवाया।
उत्कल पुरी की भांति महाप्रभु जगन्नाथ बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र स्वामी के साथ विराजमान है।
25 दिसंबर को जगन्नाथपुर मंदिर का वार्षिक महोत्सव के दिन महाप्रभु नए वस्त्र धारण करते हैं और पूरे मंदिर को फूलों से और रंग-बिरंगे लाइटों से सजाया जाता है।
आज के दिन हजारों महिला श्रद्धालु और पुरुष श्रद्धालु 1008 विष्णु सहस्त्रनाम (श्री विष्णु लक्ष्य अर्चना) में भाग लेते हैं और महाप्रभु से आने वाले वर्ष उनके लिए सुखमय हो इसका मनोकामना करते हैं.
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स दिन पुरुष एवं महिला श्रद्धालु बारी-बारी से विष्णु जी के 1008 नाम गेंदा के पुष्प और तुलसी दल के साथ जब करते हैं तत्पश्चात महाप्रभु का आरती होता है, विष्णु अस्तकम का पाठ की जाता है और महाप्रभु को गंज भोग जिसमें खिचड़ी खीर और सब्जी का भोग महाप्रभु को चढ़ाया जाता है।
आज के दिन जगन्नाथपुर मंदिर न्यास समिति पूरे कार्यक्रम का आयोजन करती है जिसमें 10000 श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क भोग का वितरण किया जाता है। प्रसाद वितरण दोपहर के 12:00 बजे से शाम के 6:00 बजे तक निरंतर चलता रहा और सभी श्रद्धालुओं को महाप्रभु का प्रसाद पाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
सर्वप्रथम विष्णु सहस्त्रनाम से पहले गणपति हवन विष्णु हवन किया जाता है जिसमें जगन्नाथपुर मंदिर न्यास समिति के सदस्य श्री राजीव रंजन मिश्रा और उनकी पत्नी इस अनुष्ठान के यजमान होते हैं।
पूरा कार्यक्रम जगन्नाथपुर मंदिर के प्रथम सेवक ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव की देखरेख में संपन्न कराया जाता है।
इस अनुष्ठान में एन एन पांडे, अजेय कुमार ओझा, विकास पांडे, प्रदीप श्रीवास्तव, बबलू जी के हजारों लोग सामिल होते हैं।
इस अनुष्ठान को जगन्नाथपुर मंदिर के पुजारी कोशतुब्धार मिश्रा और राम महंती के द्वारा सम्मान कराया जाता है।