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आप्त सचिव तथा निजी कर्मचारी रखते समय उसकी पृष्ठभूमि जरूर देख लें ताकि विवादित कर्मी मंत्री कार्यालय में स्थान नहीं पायें: हेमंत सोरेन 

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज झारखंड मंत्रालय में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य सरकार के सभी माननीय मंत्रीगणों को अपने-अपने विभागीय कार्यों के संपादन हेतु यह समझाया कि क्या करें और क्या न करें।

क्या करें और क्या न करें निम्नलिखित है

क्या करें

1. मंत्रिपरिषद में भेजे जाने वाले प्रस्ताव पर स्वयं संतुष्ट हो लें। वित्त विभाग/विधि विभाग/कार्मिक विभाग से भी सम्पर्क करें ताकि, ससमय मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रस्ताव आ सके।

2. सभी मंत्रीगण अपने-अपने विभाग के सभी जिला के क्षेत्रीय कार्यालय में जा कर विभागीय कार्यालय की समीक्षा करें तथा विभागीय योजना के लाभुकों से मुलाकात कर feedback लें।

3. विभागीय कार्यालय का समीक्षा करें। सभी योजनाओं को समझ कर उसके गुण-दोष का अध्ययन करें।

4. वैसी योजनाएं जो बहुत दिनों से लंबित हैं, उसके लंबित रहने के कारणों की समीक्षा करें और उसको पूरा करने के लिए कार्रवाई करें।

5. कई योजनाएं ऐसी हैं, जिसमें आज की पृष्ठभूमि में बदलाव अपेक्षित है या फिर कुछ प्रावधान के कारण क्रियान्वयन में कठिनाई होती है उसके निराकरण का प्रस्ताव प्राप्त कर कार्रवाई करें।

6. राज्य में आपके विभाग के योजना से अगर कोई क्षेत्र छूटा हुआ है, खासकर दूर-दराज के क्षेत्र, SC/ST क्षेत्र, पहाड़ी क्षेत्र उसके लिए योजना के प्रस्ताव पर विचार करें।

7. वैसे विभाग जिनमें राजस्व प्राप्ति की बेहतर संभावनाएं हैं, वे राजस्व स्रोत की समीक्षा कर राजस्व प्राप्ति की बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव तैयार करें।

8. वर्ष 2025-26 में ली जाने वाली योजनाओं की रूपरेखा तैयार करें।

9. अधीनस्थ अधिकारी, कर्मचारी के पदोन्नति की स्थिति की समीक्षा करें और प्रोन्नति प्रदान करें।

10. पदस्थापना की समीक्षा करें और आवश्यकता या कम जरूरी के आधार पर adjustment करें।

11. कोर्ट केस मामले की भी समीक्षा करें ताकि सरकार केस कम से कम हारे।

12. अपने विधान-सभा क्षेत्र से बाहर भी हर जिला में भ्रमण करें और लोगों से मिलकर वहाँ की समस्या (खासकर अपने विभाग से संबंधित) के निपटारा के लिए प्रयास करें।

13. क्षेत्रीय पदाधिकारियों के बारे में क्षेत्र भ्रमण के क्रम में feedback प्राप्त करें और माननीय मुख्यमंत्री को समय-समय पर अवगत कराएँ।

14. स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मिलने के लिए तिथि का निर्धारण कर दें, ताकि सभी को सहूलियत हो।

15. सभी मंत्रीगण समय-समय पर अपने विभाग की उपलब्धियों के विषय में प्रेस के प्रतिनिधियों को Press Conference कर जानकारी उपलब्ध कराते रहें।

क्या न करें

1. भवन जैसे Infrastructure वाली योजना की विशेष समीक्षा करें ताकि, बना हुआ भवन का वास्तविक इस्तेमाल हो सके। अनावश्यक भवन आदि की योजना न लिया जाय।

2. आप्त सचिव तथा निजी कर्मचारी रखते समय उसकी पृष्ठभूमि जरूर देख लें ताकि विवादित कर्मी मंत्री कार्यालय में स्थान नहीं पायें।

 

 

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