Ranchi: गिरिडीह के सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी ने कहा कि झारखंड में जब तक पूर्णकालिक न्यायाधिकरण (फुल टाइम ट्रिब्यूनल) का गठन नहीं हो जाता है तब तक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत सात जिलों में अंशकालिक न्यायाधिकरण (पार्ट टाइम ट्रिब्यूनल ) को शीघ्र क्रियाशील करने की जरूरत है। उन्होंने इस आशय की बातें आज नई दिल्ली में भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के सचिव विक्रम देवदत्त से मिलकर कही।
उन्होंने सचिव को इस बात से अवगत कराया की झारखंड में कोयला परियोजना से विस्थापित हुए लोगों के हितों की रक्षा को लेकर 2 वर्षों के लिए अंशकालिक न्यायाधिकरण का गठन करने का प्रशासनिक आदेश बीते 15 मार्च 2024 को दिया जा चुका है। बावजूद इसके अब तक आदेश को मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है।
उन्होंने कहा कि इस बीच हमने 29 जुलाई 2024 को तत्कालीन कोयला सचिव का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया तो उनके द्वारा हमें यह जानकारी दी गई की 19 जून 2024 झारखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को जरूरी कार्रवाई करने को लेकर पत्र भेजा गया है। इस बीच हमने भी संपर्क किया। बावजूद इसके दिए आदेश के करीब नौ माह गुजर जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
मिलने आए सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी की बातों को ध्यान पूर्वक सुनने के बाद और पूर्व में दिए गए आदेश का अनुपालन अब तक नहीं होने पर सचिव कहा कि वह इस विषय पर झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखेंगे साथ ही उनसे यह भी कहेंगे की झारखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से समन्वय बनाकर अंशकालिक न्यायाधिकरण को क्रियाशील किया जाए ताकि कोयला क्षेत्र के विस्थापितों के साथ हम सब न्याय कर सके।
मालूम हो कि भारत सरकार के कोयला मंत्रालय द्वारा झारखंड राज्य के हजारीबाग, रामगढ़, लातेहार, चतरा, बोकारो ,दुमका व धनबाद जिले में अंशकालिक न्यायाधिकरण का गठन किया गया है और झारखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार के द्वारा 15 मार्च 24 को जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को इन अंशकालिक न्यायाधिकरण में पदेन पीठासीन पदाधिकारी नियुक्त करने के लिए अनुरोध किया गया है। सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी ने आशा जताया है कि अंशकालिक न्यायाधिकरण शीघ्र क्रियाशील होकर अपने उद्देश्य को पूरा करने में सफल हो सकेगा।