चुनाव के बाद भाजपा और झामुमो दोनों सशंकित
एक को भाजपा की कूटनीति और दुसरे को झामुमो की बादखिलाफ़ी, भ्रष्टाचार से भय
रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा को आशंका है कि 2025 में होने वाली जनगणना के बाद झारखंड में परिसीमन के दौरान केंद्र सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति की सीटों में कटौती कर सकती है, अगर ऐसा हुआ तो एससी-एसटी के लिए यह ठीक नहीं होगा।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने हरमू स्थित पार्टी कैंप कार्यालय में प्रेस वार्ता में अपनी आशंका साझा की। उन्होंने कहा, “मुझे आशंका है कि केंद्र की भाजपा सरकार 2025 में होने वाली जनगणना और उसके बाद झारखंड में होने वाले परिसीमन के दौरान अपने स्वार्थ के लिए आदिवासियों और मूलवासियों के अधिकारों में कटौती करेगी। क्योंकि जब भी उनकी पार्टी ने उन चीजों को लेकर आशंकाएं व्यक्त कीं, भाजपा के लोगों ने उन आशंकाओं को सही साबित किया।”
प्रेस वार्ता के दौरान सुप्रियो ने कहा कि विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद भाजपा में कोई सुधार नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, “झारखंड के चुनाव परिणाम आ चुके हैं। लेकिन आज भी भाजपा इस जनादेश को पचा नहीं पा रही है। उनके नेताओं ने चुनाव के दौरान पूरे राज्य में धर्म के नाम पर जहर घोला और नफरत फैलाई। नतीजा यह हुआ कि पूरे राज्य से उनका सफाया हो गया। संथाल की 18 सीटों में से जनता ने रुदाली को मात्र एक सीट दी। फिर भी इनमें कोई सुधार नहीं दिख रहा है।”
उन्होंने इस अवसर पर भाजपा को विपक्ष के रूप में सकारात्मक भूमिका निभाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, “भाजपा मुख्य विपक्षी दल है। उसे सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए और राजभवन में लंबित विधेयकों को आगे बढ़ाना चाहिए। उन्हें केंद्र में भेजकर उन पर मुहर लगवाने की बात करनी चाहिए, अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो यह माना जाएगा कि उन्होंने जनहित में सकारात्मक भूमिका नहीं निभाई।”
झामुमो की प्रेस वार्ता पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता बिजय चौरसिया ने कहा कि झामुमो महासचिव को अब सरकार बनाकर जनता से किए गए अपने वादे पर ध्यान देना चाहिए। चौरसिया ने कहा, “झारखंड की जनता ने उन्हें उनके वादे पर बहुमत दिया है। अब उन्हें अपने वादों को लागू कर जनता के भरोसे पर खरा उतरना चाहिए। एनडीए राज्य के हित में हमेशा सहयोग के लिए तैयार है। शायद झामुमो महासचिव को अपना वादा पूरा न कर पाने का डर पहले से ही सता रहा है। शायद इसीलिए उन्होंने राज्य की जनता का ध्यान भटकाने के लिए तरह-तरह की कहानियां गढ़नी शुरू कर दी हैं।”
उन्होंने कहा कि भाजपा को डर है कि 2019 की तरह वे फिर से अपने लिए किए गए वादे को भूल न जाएं। उन्होंने कहा कि एनडीए इस सरकार में राज्य के संथाल समुदाय में हो रही घुसपैठ को नहीं भूल सकता। उन्होंने कहा, “यह हमारे राष्ट्रीय हित का मामला है। यह आदिवासी समाज और उसकी अस्मिता का मामला है। यह दर्द हमें तब और अधिक समझ में आता है, जब झामुमो के लोग जीत पर घुसपैठ जिंदाबाद के नारे लगाते हुए वीडियो जारी करते हैं। इसी सरकार के घटक दल कांग्रेस के प्रभारी घुसपैठियों को रियायती दर 450 रुपये में गैस सिलेंडर देने की बात करते हैं। एक तरफ हेमंत सोरेन मानते ही नहीं कि राज्य में कोई घुसपैठ हुई है और दूसरी तरफ उनके लोग घुसपैठ जिंदाबाद के नारे लगाते हैं।”
चौरसिया ने कहा कि भाजपा चुनाव हार गई है, लेकिन जनहित के मुद्दे पर कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा, “हम चुनाव जरूर हारे हैं, लेकिन जनहित और राष्ट्रहित के मुद्दों पर हमने कभी समझौता नहीं किया है और न ही करेंगे। झामुमो ने आगामी दिसंबर माह से ही राज्य की गृहणियों और किशोरियों को मैया सम्मान योजना के तहत 2500 रुपये की राशि भेजने का वादा किया था। हम कहेंगे कि वे जल्द ही कैबिनेट बनाकर दिसंबर माह से ही सभी के खाते में 2500 रुपये की राशि भेजें। जो बहन-बेटियां छूट गई हैं, उन्हें भी जल्द ही इस योजना से जोड़ा जाए।”
उन्होंने कहा, “450 रुपये में गैस सिलेंडर देने के अपने वादे पर अमल शुरू करें। इसी तरह किसानों और युवाओं से किए गए अपने वादों को पूरा करने पर ध्यान दें। एनडीए के सभी घटक दल पूरा सहयोग करेंगे। हमें उम्मीद है कि इस सरकार में राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था सुचारू रूप से चलेगी, कानून का राज कायम होगा। अन्यथा, यह देखा जा रहा है कि भारत गठबंधन की जीत के साथ ही राज्य में आपराधिक तत्वों ने अपना सिर उठाना शुरू कर दिया है। चोरी और छिनतई के मामलों में अचानक वृद्धि हुई है। हमें उम्मीद है कि इस बार उनके मंत्री रिश्वतखोरी के आरोप में जेल की सलाखों के पीछे नहीं जाएंगे। आम लोगों को थाना, प्रखंड, अंचल में बिना किसी रिश्वत के काम मिलेगा। हमें उम्मीद है कि राज्य के मुखिया अपने नाम या अपने रिश्तेदारों के नाम पर कोई भी खनन ठेका और पट्टा नहीं लेंगे।”