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प्रत्याशियों के भीड़ में दिखता एक अलग चेहरा कुशवाहा बिनोद सिन्हा

पलामू: प्रत्याशियों के भीड़ में कुशवाहा बिनोद सिन्हा एक अलग चेहरा दिखाई दे रहे हैं।वे एक विजन के साथ पांकी में विधानसभा का चुनाव लड़ने आये हुए है।अनौपचारिक मुलाकात में उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार में किसी भी क्षेत्र का विकास के लिये  संसाधनों की कोई कमी नही होता है,निर्भर करता है उस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के सोंच और कार्यक्षमता पर।अगर रांची, टाटा, बोकारो का विकास हो सकता है तो पांकी का और पलामू का विकास क्यों नही हो सकता है।अगर कोटा जैसा मरुस्थलीय शहर शिक्षा का हब हो सकता है तो पांकी क्यों नही?बड़े शहरों के बड़ी बड़ी बिल्डिंगों में पानी पहुंचाया जा सकता है तो किसानों के खेतो में पानी क्यों नही पहुंचाया जा सकता है, लेकिन अभीतक के चुने हुए प्रत्याशियों ने अपने अपने क्षेत्रों के विकास के लिए गंभीरता पूर्वक कोई काम ही नही किया।

किसी भी क्षेत्र का विकास का द्योतक वहां की सड़कें, सिंचाई सुविधा, शिक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधाएं जैसी मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता है।सड़क की बात करें तो पांकी से लोहरसी बहेरा ,तेतराई से कसमार चले जाएं,तरहसी से गुरहा पाठक पगार सोनपुरा होते हुए बिनेका देवपुरा चले जायें या लेस्लीगंज  से पाटन को जोड़ने वाली मुरमुसी रामानंद डबरा हरतुआ सड़क हो या राजोगाडी से तेतरियाडीह पीपरा बाँसदोहर गेंथा  सोहड़ी घुटुआ हो या डबरा मोड़ से दारुडीह सांगबार सड़क ! ये सभी सड़कें दर्जनों गांवों को मुख्यसडक से जोड़ती है पैदल भी चलने लायक नही है।

अमानत मलय पीरी सोनरे चाको जैसी छोटी बड़ी कई नदिया बहती है किंतु किसान के खेत सूखे है।शिक्षा के नाम बड़ी बड़ी स्कूलों का निर्माण किया गया लेकिन शिक्षक नही,स्वास्थ्य सुविधा के लिये बड़े बड़े अस्पताल बनाये गए किन्तु डॉक्टर नही?सच मायने में इनका निर्माण जनसुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए कराया गया या ठेकेदारी करने के लिये?होना तो यह चाहिए था कि राज्य में खाली सभी पदों को भरना चाहिए था।आज़ादी के 75 सालों बाद भी एक स्टेडियम तक नही बना सके और चाहते हैं कि हमारे यहां से पीटी उषा,साइना नेहवाल, बाईचुंग भूटिया और एमएस धोनी निकलें ,कैसे संभव होगा?इसलिए पहले संसाधन उपलब्ध कराइये रिजल्ट अपनेआप दिखने लगेगा।

अगर हमें मौका मिला तो छह महीने में फर्क दिखने लगेगा,और यह काम जनता के सहयोग से होगा।अगर एक एथनॉल प्लांट लगा दिया जाय,तो  सही मायने में किसानों की स्थिति एक साल में सुधर जायेगा।बॉक्साइड यहां से ट्रांसपोर्टिंग कर उ प में एल्युमिनियम प्लांट लगाया गया,यह प्लांट यहां भी लगाया जा सकता था जो यहां के जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी थी जो उन्होंने नहीं निभाया।

विकास की लकीर खींचने की जरूरत है रंग अपनेआप भरा जायेगा।यहां की जनता भोली भाली है,जिसको भी मौका दिया सभी ने पेट्रोल पंप और एग्रीकल्चर फार्म बनाया है।

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