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“एकला चलो रे”

गुड़िया झा

वो कहते हैं ना कि अगर इंसान की सोच उच्च हो और वह ठान ले जनकल्याण के लिए कुछ करना है, तो उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है सेवा भारती संस्थान के सदस्यों ने।

 

इसका मुख्य उद्देश्य समाज का प्रत्येक वर्ग विशेषकर आर्थिक स्थिति से कमजोर बच्चों और महिलाओं को तकनीकी शिक्षा के  साथ-साथ घरेलू हुनर से परिपूर्ण बनाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए  10 सितंबर को हरमू हाउसिंग कॉलोनी में वीर कुंवर सिंह पार्क में कंप्यूटर शिक्षण और सिलाई,कढ़ाई संस्थान का उद्घाटन किया गया। इस संस्थान की खास बात यह है कि यहां बहुत ही कम मासिक फीस मात्र 200 रूपये रखा गया है ताकि धन विद्या ग्रहण और प्रशिक्षण में बाधा न बने और शिक्षा बिना गुरुदक्षिणा भी न हो।

 

आज बिना तकनीक के सम्पूर्ण शिक्षा की कल्पना नहीं की जा सकती है। समाज के हर वर्ग के  सभी सदस्यों को तकनीकी शिक्षा की अच्छी जानकारी हो और वे अपने साथ दूसरे नए लोगों को भी इससे लाभान्वित करें, जिससे कि परिवार, समाज और देश तरक्की करे।

 

यूं तो हमारी यह धारणा होती है कि हम शिक्षा का आकलन बड़ी-बड़ी इमारतों और मोटी फीस के भुगतान पर ही करते हैं। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि वास्तविक शिक्षा वहीं होती है जहां के सदस्यों में जनकल्याण का हित समाहित होता है।
शिक्षा के वास्तविक स्वरूप को धरातल पर लाने के लिए ही सेवा भारती संस्थान के सदस्यों में आपसी भाईचारा और देशभक्ति का जो जज्बा है वह एक मिसाल है।

 

यह हर व्यक्ति के लिए सीख है कि अगर कोई अपनी तरफ से इस तरह का सराहनीय कदम उठाते हुए कार्य करे तो शिक्षा की लौ हर घर में जले और जागरूकता कण-कण में उत्पन्न हो। तो हम कह सकते हैं कि भारत वास्तव में विश्व गुरु है।

 

विद्या ही एक ऐसा धन है जिसे ना तो कोई हमसे छीन सकता है और ना ही इसकी चोरी हो सकती है। यह बांटने से सिर्फ बढ़ता ही है। एक धनी व्यक्ति सिर्फ अपने राज्य में पूजनीय होते हैं, जबकि एक पढ़ा-लिखा विद्वान व्यक्ति सभी जगह पूजे जाते हैं। इस संस्थान में कंप्यूटर शिक्षिका के रूप में सुश्री अनिशा राज और सिलाई शिक्षिका के रूप में श्रीमती उषाजी अपना योगदान दे रही हैं।
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