Ranchi: हिंदी विभाग, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती मनाई गई। सबसे पहले दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। तत्पश्चात साहित्य अकादमी द्वारा निर्मित दिनकर के जीवन से संबंधित वृत्तचित्र प्रस्तुत किया गया। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रत्नेश विष्वक्सेन ने अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए दिनकर के वीर काव्य प्रसंगों से हटकर ‘उर्वशी’ के संदर्भ में मनुष्य के सनातन द्वंद्व को रेखांकित करते हुए उसके कुछ अंशों का मर्मस्पर्शी पाठ किया। अपने वक्तव्य में सहायक प्राध्यापक डॉ उपेंद्र कुमार ने कहा कि दिनकर पहले जनकवि हैं फिर राष्ट्रकवि। इसके बाद विद्यार्थियों शोधार्थियों द्वारा काव्यांजलि अर्पित करते हुए उनकी कुछ कविताओं का पाठ किया गया। स्नातक की छात्राओं ने रश्मिरथी तृतीय सर्ग (कृष्ण की चेतावनी) का सामूहिक पाठ किया। आदर्श सौरभ ने ‘वसंत के नाम पर’ , कल्याणी ने ‘कलम आज उनकी जय बोल’ , रूपेश ने ‘सिंहासन खाली करो की जनता आती है’ तथा शोधार्थी रूमा ने ‘आग की भीख’ एवं अंशु ने ‘हिमालय’ कविता का पाठ किया। शोधार्थी चंदन कुमार सिंह ने ‘वीर काव्य परंपरा में परशुराम की प्रतीक्षा और उसके अंतर्निहित तत्व’ शीर्षक से अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी मनीष दुबे ने तथा धन्यवाद ज्ञापन सुनीता कच्छप ने किया।
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