रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने आज राज्य सरकार से इस बारे में जवाब मांगा कि क्या परीक्षा आयोजित करने के लिए इंटरनेट सेवा बंद की जा सकती है।
जेएसएससी द्वारा संयुक्त स्नातक स्तरीय (सीजीएल) परीक्षा आयोजित करने के लिए राज्य में इंटरनेट सेवा बंद करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति आनंद सेन और न्यायमूर्ति अनुभा रावत चौधरी ने राज्य सरकार से इंटरनेट बंद करने की नीति पर जवाब दाखिल करने को कहा। न्यायालय ने पूछा, “क्या सभी परीक्षाओं के दौरान इस तरह से इंटरनेट बंद किया जाएगा?”
निलंबन आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए न्यायालय ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर हलफनामे के माध्यम से इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इंटरनेट सेवा बंद करने के लिए आईटी अधिनियम का आधार
आईटी अधिनियम की धारा 69 (1) राज्य सरकार को “भारत की संप्रभुता या अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध या सार्वजनिक व्यवस्था के हित में या उपरोक्त से संबंधित किसी भी संज्ञेय अपराध के लिए उकसावे को रोकने या किसी भी अपराध की जांच के लिए” इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने का अधिकार देती है…
एजी ने राज्य सरकार का बचाव किया
एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने परीक्षाएं निष्पक्ष रूप से आयोजित करने के राज्य सरकार के फैसले का बचाव किया।
राज्य सरकार ने तर्क दिया कि परीक्षा में किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए एहतियात के तौर पर केवल मोबाइल इंटरनेट बंद किया गया है। बाकी इंटरनेट सुविधाएं पहले की तरह चल रही हैं।
राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि यह आईटी अधिनियम का उल्लंघन है
याचिका दायर करने वाले राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने तर्क दिया कि परीक्षा आयोजित करने के लिए इंटरनेट सेवा बंद करना सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का उल्लंघन है।
उन्होंने कहा, “इससे लोगों के सभी नियमित काम प्रभावित हुए हैं।” गौरतलब है कि झारखंड स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (जेजीजीएलसीसीई) के मद्देनजर आज सुबह आठ बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक झारखंड में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई। यह स्थिति कल भी रहेगी।
राज्य भर में 823 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। राज्य में करीब 6.40 लाख अभ्यर्थी इस परीक्षा में शामिल हो रहे हैं।
गृह विभाग के आदेश में कहा गया है कि मोबाइल फोन, इंटरनेट मीडिया, वॉट्सऐप, एक्स, टेलीग्राम यूट्यूब आदि के जरिए पेपर लीक आदि की शिकायतें पहले भी मिली हैं। इसलिए इंटरनेट सेवा बंद करने का फैसला किया गया।
असम सरकार ने दिखाई राह
गौरतलब है कि असम सरकार ने एक सप्ताह पहले तृतीय श्रेणी के पदों के लिए परीक्षा आयोजित करने के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं।
इसका श्रेय लेते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आज कहा कि झारखंड सरकार ने भर्ती परीक्षाओं के दौरान इंटरनेट सेवाएं बंद करने का विचार पूर्वोत्तर राज्य से सीखा है।
“कांग्रेस परीक्षा के दौरान इंटरनेट बंद करने के लिए मेरी आलोचना कर रही है। लेकिन झारखंड में उनकी सरकार भी यही कर रही है।’