Ranchi: शिवानंद जयंती के शुभ अवसर पर योग मित्र मंडल, रांची द्वारा समाधि के विषय पर ऑनलाइन माध्यम से विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमे नई दिल्ली के आचार्य कौशल ने समाधि विषय पर अपने विचार रखें।
योग मित्र मंडल की सचिव डॉक्टर परिणीता सिंह ने योग मित्र मंडल की गतिविधियों के बारे में बताते हुए कहा कि योग मित्र मंडल का उद्देश्य योग की सही और सटीक जानकारी देना है साथ ही उन्होंने बताया कि योग मित्र मंडल गांव – गांव जाकर योग का प्रचार प्रसार करता है।
आत्म कृति ने शांति पाठ से कार्यक्रम की शुरुआत की । डॉ परिणीता सिंह ने स्वामी शिवानंद सरस्वती का संक्षिप्त जीवन परिचय दिया। योग मित्र मंडल रांची के कोषाध्यक्ष शंकर सिंह ने शिवानंद भजन का गायन किया बिहार स्कूल ऑफ योग मुंगेर के शिष्य राजेश ने कार्यक्रम के वक्ता का परिचय दिया और विषय प्रवेश कराया ।
इससे पहले योग मित्र मंडल रांची के अध्यक्ष आर. के. कटारिया ने स्वागत भाषण दिया और बताया योग मित्र मंडल, रांची की शुरुआत सन् 2009 में हुई थी और यह बिहार स्कूल, मुंगेर के झारखंड की शाखा है।
आचार्य कौशल ने समाधि विषय पर कहा कि समाधि अनुभूति का विषय है. सभी दर्शन दुःख से शुरू करते है और सभी दर्शनों ने योग की प्रशंसा की है। अधिकांश लोग के संसार में दुख से तो मुक्त होना चाहते हैं लेकिन मार्ग गलत अपना लेते हैं इंद्रियों की मौज की मार्ग अपना लेते हैं और इसलिए दुख और बढ़ता ही जाता है हमारा योग कहता है कि नहीं आत्म साक्षात्कार का मार्ग अपना कर इंद्रियों के नियंत्रण का मार्ग बताएं । योग आत्म साक्षात्कार की विधि बताता है। उन्होने बताया अपने आप में स्थित हो जाना ही समाधि है। समाधि दो प्रकार की होती है–संप्रज्ञात समाधि और असम्प्रज्ञात समाधि और इसे सबीज और निर्बीज समाधि भी कहते हैं संप्रज्ञात समाधि के चार स्तर हैं वितर्क, विचार, आनंद और अस्मिता ।
अंत में प्रश्न उत्तर का सत्र चला जिसमें कई लोगों ने अपने सवाल रखें जिसका आचार्य जी ने सरल और सौम्य तरीके से उत्तर दिया
विचार गोष्ठी में योग मित्र मंडल रांची के सदस्यों के अलावा योग से संबंधित विश्वविद्यालय के छात्रों ने भाग लिया इसके अलावा कई और राज्यों से भी लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
कार्यक्रम का संचालन योग मित्र मंडल की सचिव डॉक्टर परिणीता सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन शंकर सिंह ने किया।