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नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता है। : राजेश कुमार सिन्ह

एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने संविधान के अनुच्छेद 47 पर किया फोकस

रांची : झालसा के निर्देश पर न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष के मार्गदर्शन में आज दिनांक 09.07.2024 को गुरु नानक स्कूल, पी पी कंपाउंड में नशा उन्मूलन पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा, विशेषज्ञ मध्यस्थ पी.एन. सिंह, लाईफ सेवर्स एनजीओ के अतुल गेरा,गुरु नानक स्कूल के प्रधानाध्यापक, शिक्षक शिक्षिकाएं पीएलबी संगीता देवी,शारदा देवी,बबीता देवी,फुलेश्वरी देवी एवं राजा वर्मा व अन्य उपस्थित थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने मानव औषधियां और मनःप्रभावी पदार्थ-1985 के अधीन अफीम, गांजा, हेरोइन, ब्राउन शुगर का व्यापार करना तथा अफीम की खेती करने से संबंधित अपराध के बारे में जानकारी दी एवं औषधि और प्रसाधन सामाग्री अधिनियम 1940 के बारे में छात्र-छात्राओं को बताया। इसके अलावा एनडीपीएस, एनसीबी तथा संविधान के अनुच्छेद – 47 के संबंध में फोकस किया।

मध्यस्थ पी.एन. सिंह ने कहा कि नशा हम सब के लिए एक अभिशाप है, जो हमारे  समाज में आम है। अच्छी शिक्षा के अभाव में लोग कम उम्र में ही नशा जैसे अन्य शारीरिक परिणामों का शिकार हो जाते हैं और आजीवन नशे की लत में रहते हैं। नशा मुक्ति का अर्थ होता है किसी व्यक्ति या समाज को नशे से मुक्त करना, अर्थात् नशे का सेवन करने से बचाव या उसकी नशा को दुर करने का प्रयास है।
सीआईडी-डीसपी, श्रीमती नेहा बारला ने संबोधित करते हुए कहा कि नशा के चपेट में आकर नशीली पदार्थों का सेवन कर युवा वर्ग अपने अनमोल जीवन को नष्ट कर रहे है। नशा से पूरा घर-परिवार बरबाद हो जाता है। नशा के रोकथाम के लिए कई कार्य विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया जा रहा है।

लाईफ सेवर्स एनजीओ के अतुल गेरा के द्वारा भी नशा उन्मूलन पर प्रकाश डाला गया, उन्होंने नशा से होने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि नशा न कर मनुष्य स्वस्थ रहता है। नशा शरीर की गुणवत्ता को समाप्त कर देता है। इसका प्रभाव पूरे परिवार पर पड़ता है। नशा से परिवार का आर्थिक, मानसिक और शारीरिक क्षति होता है, जिसका भरपाई कदापी नहीं किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि नशा के आदि व्यक्ति का पूरा पैसा नशा करने में खर्च होता है, जिसका प्रभाव उसके परिवार पर पड़ता है और परिवार नष्ट हो जाता है। नशा का आदि व्यक्ति पागलों की तरह इधर-उधर घुमता रहता है, जिससे उसका मान-सम्मान भी समाप्त हो जाता है।

 

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