रांची: न्यूनतम मजदूरी की दरों में की गई बढ़ोत्तरी को संशोधित करने के फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के आग्रह पर श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा श्रमायुक्त, झारखण्ड की अध्यक्षता में गठित उप समिति की बैठक आज श्रम भवन में हुई। अध्यक्ष किशोर मंत्री के नेतृत्व में चैंबर प्रतिनिधिमण्डल ने बैठक में शामिल होकर, अपना पक्ष रखते हुए कहा कि निर्धारित दर से राज्य में पलायन बढ़ेगा और रोजगार का अनुपात घटेगा। न्यूनतम मजदूरी दर, बॉस्केट ऑफ कमोडिटीज़ के प्राइज इवैल्यूएशन से निर्धारित होता है। न्यूनतम मजदूरी दर के निर्धारण से पूर्व झारखण्ड़ के परिप्रेक्ष्य में बास्केट ऑफ कमोडिटीज और कॉस्ट ऑफ लिविंग दर को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। हमारा राज्य 29वें पायदान पर है पर हमारे राज्य में न्यूनतम दर का निर्धारण सबसे उंचा तय किया गया है। देश के विभिन्न राज्यों में प्रभावी न्यूनतम मजदूरी दर की तालिका दिखाते हुए यह स्पष्ट किया गया कि अन्य राज्यों की तुलना में हमारे राज्य में न्यूनतम मजदूरी की दर काफी अधिक है तथा इसमें संशोधन की आवश्यकता है। प्रतिनिधिमण्डल ने जोर देते हुए आग्रह किया कि झारखण्ड में किसी भी स्थिति में न्यूनतम मजदूरी की दर में 5 फीसदी से अधिक बढ़ोत्तरी नहीं की जाय।
चैंबर अध्यक्ष ने कहा कि प्रस्तावित बढ़ोत्तरी को प्रभावी करने से उद्योग जगत के समक्ष नई चुनौतियां खडी हो जायेंगी तथा कई छोटे-मोटे उद्योग बंद के कगार पर आ जायेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास होगा कि समिति के माध्यम से स्टेकहोल्डर्स के साथ ही श्रमिकों के हित में राज्य में न्यूनतम मजदूरी दर का निर्धारण सुनिश्चित कराया जाय।
विदित हो कि अप्रैल माह में चैंबर और विभागीय सचिव के साथ संपन्न हुई बैठक के आलोक में न्यूनतम मजदूरी दर के निर्धारण/संशोधन पर विचार के लिए विभाग द्वारा समिति का गठन किया गया है। यह कमिटी चैंबर के साथ बैठकर अन्य राज्यों की दरों की तुलना और दरों का अध्ययन करने के बाद निर्णय लेगी। बैठक में संयुक्त श्रमायुक्त, सहायक श्रमायुक्त, अन्य विभागीय अधिकारी, चैंबर उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, कार्यकारिणी सदस्य प्रवीण लोहिया और रोहित पोद्दार के अलावा इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन के पदाधिकारी उपस्थित थे।
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