राँची: नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में झारखंड के प्रतिनिधित्व को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और बीजेपी में आज तक ठन गई।
जहां जेएमएम ने बीजेपी पर झारखंड को उचित हिस्सा नहीं देने का आरोप लगाया, वहीं बीजेपी ने क्षेत्रीय पार्टी से मगरमच्छ के आंसू बहाने से मना किया।
गौरतलब है कि कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, जबकि रांची की सांसद को राज्य मंत्री बनाया गया है।
जेएमएम ने संजय सेठ पर उठाए सवाल
रांची के सांसद संजय सेठ पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री पद देने के लिए एक भी ‘भूमिपुत्र’ नहीं मिला। सेठ को राज्य मंत्री बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि कई ऐसे सांसद हैं जो सेठ से वरिष्ठ हैं। लेकिन ऐसे सांसद को मंत्री बनाया गया जो न तो झारखंड के मूल निवासी हैं और न ही उन्होंने बंद पड़े एचईसी समेत झारखंड से जुड़े मुद्दों पर एक भी सवाल उठाया। भाजपा ने आजसू को भी नजरअंदाज किया भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा ने आजसू पार्टी को भी नजरअंदाज किया है, जिसके एक सांसद हैं। उन्होंने कहा कि हर पार्टी के सांसदों को मंत्री पद दिया गया, लेकिन आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी को मंत्री पद नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि आजसू भाजपा की पुरानी सहयोगी है, स्थानीय पार्टी है, लेकिन उन्हें मंत्री पद नहीं दिया गया। झामुमो ने दो और कैबिनेट पद मांगे भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में कुल सात पद खाली हैं। उन्होंने भाजपा से मांग की कि इन सात पदों में से एक और कैबिनेट मंत्री और एक स्वतंत्र प्रभार वाला राज्य मंत्री झारखंड को दिया जाए।
झामुमो आदिवासियों, मूलवासियों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहा है : भाजपा
झामुमो पर पलटवार करते हुए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि झामुमो को चंपई सोरेन मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री मिथिलेश ठाकुर और बन्ना गुप्ता पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। वे भी धरतीपुत्र नहीं हैं। प्रतुल ने कहा कि नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए झामुमो आदिवासियों और मूलवासियों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रहा है। भाजपा का मूल मंत्र सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन का विशेष ध्यान रखा गया है।
आदिवासियों और मूलवासियों के नाम पर नाटक करने वाले झामुमो को मंत्री मिथिलेश ठाकुर और बन्ना गुप्ता के बारे में भी विस्तार से स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। झामुमो के पास केडी सिंह, मुक्तिनाथ उपाध्याय और आरके आनंद जैसे लोगों को राज्यसभा भेजने का लंबा रिकॉर्ड है।
प्रतुल ने कहा कि झामुमो नीत गठबंधन सरकार किसी भी हालत में यहां के आदिवासियों और मूलवासियों का विकास नहीं चाहती है।
उन्होंने आरोप लगाया कि उनके वादे के अनुसार साढ़े चार साल में यहां 22.5 लाख सरकारी नौकरियां होनी चाहिए थीं। लेकिन यह घोषणा छलावा साबित हुई। अपने अधिकार की मांग कर रहे छात्रों को पीटा गया। महिलाओं का उत्पीड़न रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और वर्तमान मंत्री आलमगीर आलम दोनों भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं। पूरे राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त हो गई है। एनडीए 50 सीटों पर आगे प्रतुल ने कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव के विधानसभा क्षेत्रों में एनडीए 50 सीटों पर आगे है। मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष अपने-अपने क्षेत्रों में उम्मीदवार नहीं जिता पाए। सत्ता में होने के बावजूद यह गठबंधन मात्र 29 सीटों पर सिमट गया। उन्हें 2024 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम की भनक लग गई है। इसलिए वे घबराहट में बेबुनियाद बयानबाजी कर रहे हैं। बेहतर होता कि झामुमो अपनी चिंता करता।