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“झारखंड अस्मिता बचाओ मोर्चा” गठित

Ranchi: आज दिनांक 14 दिसंबर 2025 को रांची के नगड़ा टोली स्थित सरना भवन में आदिवासी बुद्धिजीवियों एवं समाज के अगुवाकारों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में झारखंड से जुड़े कई ज्वलंत सामाजिक, सांस्कृतिक एवं संवैधानिक मुद्दों पर गहन एवं गंभीर चर्चा हुई।

बैठक में विशेष रूप से सरकार द्वारा प्राकृतिक पूजक आदिवासियों के लिए सरकारी एवं शैक्षणिक दस्तावेज़ों से “अन्य” कॉलम हटाए जाने के विषय पर चिंता व्यक्त की गई। वक्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को सरना/आदिवासी धर्म कोड की मांग भेजना केवल औपचारिकता साबित हुआ है, क्योंकि ज़मीनी स्तर पर सरकारी और स्कूली दस्तावेज़ों में “अन्य” कॉलम हटने से आदिवासी सहित अन्य समुदायों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

इससे सरना-वलंबी आदिवासियों की धार्मिक पहचान पर संकट उत्पन्न हुआ है।

इसके साथ ही बैठक में झारखंड की खतियानी जमीनों की सुरक्षा, आदिवासी अस्मिता, जल-जंगल-जमीन की रक्षा तथा संवैधानिक अधिकारों से जुड़े विषयों पर भी गंभीर चर्चा की गई।

सभी विषयों पर विचार-विमर्श के उपरांत उपस्थित सदस्यों की सर्वसम्मति से एक नए संगठन के गठन का निर्णय लिया गया। इस नवगठित संगठन का नाम “झारखंड अस्मिता बचाओ मोर्चा” रखा गया।

बैठक में आगामी आंदोलनात्मक कार्यक्रमों की रूपरेखा भी तय की गई, जिसके तहत—

22 दिसंबर 2025 को जमशेदपुर में टाटा स्टील की लीज से जुड़े मुद्दे को लेकर एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।

18 जनवरी 2026 को विस्थापन से संबंधित एवं अन्य कॉलम को हटाए जाने के कारण उठ रहे ज्वलंत मुद्दों को लेकर नीलांबर-पीतांबर के गांव चेमो सान्या से रांची तक पदयात्रा निकाली जाएगी, जो राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के साथ संपन्न होगी।

इस बैठक में रांची सहित झारखंड के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी एवं आदिवासी अगुवा शामिल हुए।

प्रमुख रूप से उपस्थित सदस्य—

रांची: कुंदराशी मुंडा, निरंजना हेरेंज टोप्पो, हर्षिता मुंडा, लक्ष्मी मुंडा, अजय टोप्पो, दीपक टोप्पो

पूर्वी सिंहभूम: दिनकर कच्छप, अजय सिंह जामुदा, सीमा कच्छप

रामगढ़: झरी मुंडा, रोहित मुंडा, संतोष मांझी

लोहरदगा: बिहारी भगत

साथ ही समाज के अनेक जागरूक अगुवा एवं बुद्धिजीवी भी उपस्थित रहे।

बैठक के अंत में यह संकल्प लिया गया कि “झारखंड अस्मिता बचाओ मोर्चा” झारखंड की आदिवासी अस्मिता, अधिकारों एवं सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए संगठित, शांतिपूर्ण एवं लोकतांत्रिक संघर्ष करता रहेगा।

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