Ranchi: सीएसआईआर – खनिज और पदार्थ प्रौद्योगिकी संस्थान, भुवनेश्वर (ओडिशा) की वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. ममता मोहापात्रा ने “स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए आवश्यक कुछ महत्वपूर्ण धातुओं का कालक्रमिक विश्लेषण” पर व्याख्यान दिया।
झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) में भारत के महान और प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक, सर सी. वी. रमन की जयंती पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. सौमेन डे और डॉ. ममता मोहापात्रा द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता सीएसआईआर – खनिज और पदार्थ प्रौद्योगिकी संस्थान, भुवनेश्वर (ओडिशा) की वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. ममता मोहापात्रा रहीं, जिन्होंने “स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए आवश्यक कुछ महत्वपूर्ण धातुओं का कालक्रमिक विश्लेषण” विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।

अपने संबोधन में डॉ. मोहापात्रा ने लिथियम, कोबाल्ट और दुर्लभ पृथ्वी धातुओं की स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों में भूमिका पर प्रकाश डालते हुए इनकी उत्खनन और पुनर्चक्रण प्रक्रियाओं से जुड़ी तकनीकी, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि सतत ऊर्जा विकास के लिए इन धातुओं का जिम्मेदार उपयोग और पुनर्चक्रण भविष्य की आवश्यकता है।
डॉ. मोहापात्रा एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक हैं जिनके नाम 130 से अधिक अंतरराष्ट्रीय शोध प्रकाशन हैं तथा उन्होंने आईआईटी कानपुर, मर्डोक विश्वविद्यालय (ऑस्ट्रेलिया) और एसडीयू विश्वविद्यालय (डेनमार्क) जैसी संस्थाओं के साथ शोध सहयोग किया है।
कार्यक्रम के दौरान विभागाध्यक्ष, प्रो. अरुण कुमार पाढ़ी ने कहा कि ऐसे व्याख्यान विद्यार्थियों के ज्ञान को विस्तृत करने के साथ-साथ उन्हें उद्देश्यपूर्ण और प्रेरणादायक शोध के लिए प्रोत्साहित करते हैं। विद्यार्थियों को सर सी वी रमन से प्रेरणा लेकर देश के विज्ञान को ऊंचाइयों तक लेकर जाने के लिए कार्य करना चाहिए। इस अवसर पर विभाग और विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।