सारंडा के मुद्दे पर झारखंड मुक्ति मोर्चा और भाजपा आमने सामने
हेमंत सरकार के कार्यकाल में सारंडा जंगल का आयरन ओर माफिया ने जमकर दोहन किया: भाजपा; भाजपा भ्रामक आरोप लगाकर जनता को गुमराह करने की असफल कोशिश कर रही : झारखंड मुक्ति मोर्चा
Ranchi: झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सारंडा जंगल को अभयारण्य घोषित करने की प्रक्रिया शुरू होना न सिर्फ एक ऐतिहासिक कदम है बल्कि यह भी प्रमाण है कि हेमंत सरकार अपने कार्यकाल में इस राज्य की वन संपदा और पर्यावरण की रक्षा करने में पूरी तरह विफल रही है।
उन्होंने कहा कि सारंडा जंगल, जो एशिया का सबसे बड़ा साल वन माना जाता है और लगभग 82,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है, कभी अपनी हरियाली और जैव विविधता के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता था। लेकिन हेमंत सरकार के संरक्षण में खनन माफियाओं ने इस जंगल का जमकर दोहन किया। आयरन ओर और अन्य खनिजों के अंधाधुंध खनन ने न केवल हजारों हेक्टेयर वन भूमि को बर्बाद कर दिया बल्कि यहाँ के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को भी तहस-नहस कर दिया। हालात यह हो गए कि जहाँ कभी 300 से अधिक प्रजातियों के पौधे पाए जाते थे, वहाँ अब मुश्किल से 87 प्रजातियां बची हैं। पक्षियों की प्रजातियाँ भी घटकर 148 से 116 रह गईं और हाथियों का परंपरागत रास्ता पूरी तरह खत्म हो गया।प्रतुल ने कहा कि 2010 में जहाँ 253 हाथी गिने गए थे, आज सारंडा में उनकी उपस्थिति लगभग न के बराबर हो गई है।
प्रतुल ने कहा कि खनन से फैले प्रदूषण ने पूरे इलाके को दूषित कर दिया है। बरसात में नदियाँ और झरने लाल पानी बहाते हैं, पीने के पानी तक में लौह अयस्क की धूल घुल जाती है। इससे आदिवासी इलाकों में श्वसन रोग, त्वचा रोग और बुखार जैसी बीमारियां आम हो चुकी हैं। पिछले कुछ वर्षों में गर्मी की लहरों में भी तेजी आई है, जिसका सीधा कारण वनों की अंधाधुंध कटाई और खनन से बिगड़ा संतुलन है।
प्रतुल शाहदेव ने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार ने जानबूझकर खनन कंपनियों और माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी की। एक आयोग की रिपोर्ट में तो यह तक सामने आया कि झारखंड में खनन कंपनियों द्वारा ₹22,000 करोड़ से अधिक का अनधिकृत खनन किया गया। यही नहीं, सिर्फ हेमंत सरकार के कार्यकाल में झारखंड की हजारों हेक्टेयर वन भूमि को गैर-वन उपयोग के लिए हस्तांतरित किया गया।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश इस बात का सबूत है कि हेमंत सरकार ने झारखंड के पर्यावरण और आदिवासी समाज के साथ खिलवाड़ किया है। भाजपा यह मांग करती है कि सारंडा जंगल में हुए अवैध खनन की उच्चस्तरीय जांच हो, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और इस पूरे इलाके को वास्तविक रूप से ‘नो-गो जोन’ घोषित किया जाए ताकि आगे कोई भी कंपनी यहाँ बिना मानक पूरा किए खनन करने का दुस्साहस न कर सके।
झामुमो महासचिव विनोद पांडेय ने भाजपा के आरोपों को नकारते हुए कहा कि भाजपा झूठ फैलाकर जनता को गुमराह करने का काम कर रही है। सारंडा जंगल को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए हेमंत सरकार ने मंत्री समूह का गठन कर दिया है। आज से ही मंत्री समूह ने सारंडा में सामाजिक – आर्थिक अध्ययन कार्य शुरू कर दिया है, ताकि इस जंगल को जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की दृष्टि से सुरक्षित और संरक्षित किया जा सके।
विनोद पांडेय ने कहा कि भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिए कि झारखंड में अवैध खनन की जड़ें उन्हीं की सरकार के कार्यकाल में पड़ी थीं। पूरे देश को मालूम है कि किस तरह केंद्र में भाजपा की सरकार और राज्य में उनकी पिछली सरकारों ने कॉरपोरेट घरानों और खनन कंपनियों को संरक्षण देकर जंगल-जमीन को लूटा। हकीकत यह है कि भाजपा के संरक्षण में खनन माफिया सबसे अधिक फले-फूले और पर्यावरण की सबसे ज्यादा क्षति उसी दौरान हुई। भाजपा की ऐसी सरकार से परेशान होकर जानता ने माननीय हेमंत सोरेन को लगातार दूसरी बार बहुमत दिया है। हेमंत सरकार की नीति और नियत के कारण दूसरी बार दो तिहाई बहुमत का आशीर्वाद जानता ने माननीय हेमंत सोरेन के नेतृत्व को दिया। इससे साबित हो गया कि हर वर्ग की जनता का भरोसा, उम्मीद श्री हेमंत सोरेन जी से जुड़ा है।
प्रवक्ता विनोद ने कहा कि हेमंत सरकार ने अपने कार्यकाल में न सिर्फ खनन गतिविधियों पर कड़ा नियंत्रण किया है बल्कि पर्यावरणीय मानकों को सख्ती से लागू करने के लिए नियम बनाए हैं। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए झारखंड सरकार ने सारंडा को वन्यजीव अभयारण्य घोषित करने की प्रक्रिया तेजी से शुरू की है और अब कोई भी कंपनी बिना सभी मानकों को पूरा किए यहां खनन नहीं कर सकेगी। दूसरी तरफ वन राज्य का वन आवरण राष्ट्रीय औसत 33 फीसदी से ज्यादा हो गया है। झमुमो की लड़ाई ही जल, जंगल और जमीन से जुड़ी है। झमुमो की इस ताकत के आगे भाजपा का झूठा दाव कभी टिक ही नहीं सकता। यही चिंता भाजपा को परेशान कर रहा है और तेजी से अपनी खोती जा रही राजनीतिक जमीन को बचाने के लिए भाजपा झूठे आरोप मढ़ रही है।
विनोद पांडेय ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि जिन्होंने दशकों तक जंगल, जल और जमीन को कॉरपोरेट के हवाले कर दिया, आज वे ही मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं। सच यह है कि भाजपा को न आदिवासियों से मतलब है और न ही पर्यावरण से। उनका एकमात्र एजेंडा है— भ्रम फैलाकर सत्ता हथियाना।
झामुमो महासचिव ने कहा कि हेमंत सरकार की प्राथमिकता आदिवासियों और मूलवासियों के हितों की रक्षा करना है। सारंडा के जंगल को बचाने के लिए सरकार नीतिगत रूप से प्रतिबद्ध है। मंत्री समूह की टीम स्थानीय समुदायों से भी संवाद करेगी और एक व्यापक कार्ययोजना बनाकर सारंडा को अभूतपूर्व रूप में सुरक्षित, संरक्षित, संवर्धित करेगी।
विनोद पांडेय ने कहा कि भाजपा को सलाह है कि वे अपने गिरेबान में झांके और जनता को गुमराह करने के बजाय पर्यावरण और समाज की भलाई के लिए सरकार का सकारात्मक सहयोग करें। हेमंत सरकार हर हाल में सारंडा की हरियाली को इस प्रकार सुनिश्चित करेगी कि आने वाली पीढ़ियां भी इसकी प्राकृतिक संपदा से लाभान्वित हों।
