रांची: टास्क फोर्स-सस्टेनेबल जस्ट ट्रांज़िशन, झारखंड सरकार और सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के द्वारा संयुक्त रूप से एक विजनरी रिपोर्ट ‘पावरिंग प्रोग्रेस: अनलॉकिंग रिन्यूएबल एनर्जी एंड स्टोरेज पोटेंशियल असेसमेंट इन झारखंड’ को जारी किया गया। यह अपनी तरह का पहला हाई-रेजोल्यूशन आकलन है, जिसमें राज्य के सभी 24 जिलों और प्रखंडों में अक्षय ऊर्जा की क्षमता की पहचान की गयी है। रिपोर्ट का विमोचन वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभागके सचिव, उद्योग विभाग के सचिव एवं योजना एवं विकास विभाग के सचिव, अध्यक्ष– टास्क फोर्स ऑन सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन, और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक-कैंपा के कर-कमलो द्वारा हुआ। कार्यक्रम में उद्योग, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, थिंक टैंक्स, विष-विशेषज्ञ और सिविल सोसाइटी संगठनों की भागीदारी रही।
इस शोध-अध्ध्य्यन की सराहना करते हुए श्री अबूबकर सिद्दीख पी., आईएएस, सचिव, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, झारखंड सरकार ने कहा कि राज्य में एनर्जी ट्रांजीशन की रुपरेखा देने में इसके निष्कर्षों से महत्वपूर्ण मदद मिलेगी। झारखंड के प्रचुर प्राकृतिक संसाधन राज्य को एनर्जी ट्रांजिशन की दिशा में अग्रणी बनाने में सक्षम है। निश्चय ही अक्षय ऊर्जा संभावना का बेहतर प्लानिंग करके झारखंड नेट-जीरो टारगेट और ग्रीन इकोनॉमी की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
श्री अरवा राजकमल, आईएएस, सचिव, उद्योग विभाग, झारखंड सरकार ने कहा कि अक्षय ऊर्जा सम्भावना का दोहन करने के लिए एक मजबूत विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने की आवश्यकता है, जिसमें निर्माण, स्थापना, संचालन और रखरखाव आदि को प्राथमिकता दी जाये। राज्य की मौजूदा औद्योगिक एवं एमएसएमई क्षमताओं की क्लीन एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर एवं इकोसिस्टम तैयार करने में बड़ी भूमिका होनेवाली है, जिसके लिए निवेश एवं तकनीकी नवोन्मेष भी जरूरी है।
दीर्घकालिक योजना पर जोर देते हुए मुकेश कुमार, आईएएस, सचिव, योजना एवं विकास विभाग, झारखंड सरकार ने कहा कि झारखंड के अप्रयुक्त प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग बुनियादी ढांचे और सततशील अर्थव्यवस्था के निर्माण में सहायक होगा। अक्षय ऊर्जा के मामले में अग्रणी बनने के लिए पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों की रिन्यूएबल एनर्जी सक्सेस स्टोरीज़ से सीख लेनी चाहिए।
वर्तमान में झारखंड की रिन्यूएबल कैपेसिटी 434 मेगावॉट (7.2%) है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 46 गीगावाट रिन्यूएबल क्षमता की संभावना है। इसमें सोलर एनर्जी का सबसे बड़ा योगदान है, जिसकी क्षमता 41 गीगावाट आँकी गई है। इसमें 17.2 गीगावाट यूटिलिटी-स्केल सोलर, 6.2 गीगावाट रूफटॉप सोलर, 9.4 गीगावाट एग्रीवोल्टैक्स, 6.2 गीगावाट फ्लोटिंग सोलर और 2 गीगावाट कॉन्सन्ट्रेटेड सोलर पावर (सीएसपी) शामिल हैं। इसके अलावा 4.1 गीगावाट हाइड्रो पावर, 715 मेगावॉट विंड और लगभग 1 गीगावाट बायोएनर्जी (क्रॉप रेजिड्यूज़, फॉरेस्ट बायोमास और म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट से) की पहचान की गई है।
हाई-रेज़ोल्यूशन वैज्ञानिक आँकड़ों और एक्सटेंसिव रिसोर्स मैपिंग के आधार पर यह अध्ययन पहली बार जिला और ब्लॉक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा भविष्य के निर्माण की रूपरेखा प्रस्तुत करता है। इसमें पम्प-हाइड्रो एनर्जी स्टोरेज की गेम-चेंजर भूमिका पर ज़ोर दिया गया है और झारखंड को भारत के फ्रंटलाइन स्टेट्स में शामिल बताया गया है।
अध्ययन के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए, श्री ए.के. रस्तोगी, आईएफएस (रिटायर्ड), अध्यक्ष, सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन, झारखंड ने कहा कि फ्यूचर-रेडी इकोनॉमी बनाने में क्लीन एनर्जी ट्रांजीशन की बड़ी भूमिका है। औद्योगिक विस्तार, कूलिंग व डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी नई जरूरतें बढ़ते एनर्जी डिमांड की ओर इशारा करते हैं। यह रिपोर्ट राज्य में ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वच्छ औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र, ग्रीन जॉब्स तथा सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगी, जिससे एनर्जी ट्रांजीशन को गति मिलेगी।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए, श्री रवि रंजन, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक-कैंपा, झारखंड ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव पर्यावरणीय सततशीलता की ओर बदलाव की आवश्यकता को दर्शाते हैं, जहाँ संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करके कार्बन फुटप्रिंट को कम करना आर्थिक लाभ और व्यापक सामाजिक हितों के लिहाज से प्राथमिकता होनी चाहिए।
राज्य सरकार की पहल की सराहना करते हुए सीड के सीईओ श्री रमापति कुमार ने कहा कि झारखंड एक परिवर्तनकारी यात्रा के लिए सही मायनों में तैयार है। अक्षय ऊर्जा क्षमता का समुचित दोहन करके राज्य ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विविधीकरण और ग्रीन इकोनॉमी की दिशा में आगे बढ़ सकता है, साथ ही पूर्वी भारत में एक उदाहरण स्थापित कर सकता है। सीड राज्य सरकार और टास्क फोर्स को सस्टेनेबल जस्ट ट्रांज़िशन, डीकार्बनाइजेशन और फ्यूचर-रेडी इकोनॉमी से संबंधित रोडमैप तैयार करने में निरंतर सहयोग देने पर गर्व महसूस कर रहा है।
समारोह में ‘एनर्जी ट्रांजिशन पाथवे’ पर एक तकनीकी सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ. मनीष राम (डायरेक्टर–एनर्जी एवं क्लाइमेट, सीड), श्रीमती विभूति गर्ग (डायरेक्टर, साउथ एशिया – आइफा), श्री सचिन सिंह (फेलो एवं एसोसिएट डायरेक्टर, टेरी), और श्री मनोज कुमार कर्माली (एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर–ऑपरेशंस, झारखण्ड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड) शामिल थे। चर्चा के दौरान जो प्रमुख सुझाव् आये, उनमें निवेश, वित्त और नियामकीय बदलावों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना, टेक्नो-फिज़िबिलिटी स्टडीज़, पायलट और नए प्रोजेक्ट्स पर काम करना, ऊर्जा परियोजनाओं को सामाजिक रूप से लाभकारी परिणामों से जोड़ना, और सभी स्टेकहोल्डर्स को एक साझा मंच पर लाना आदि प्रमुख थे।
कार्यक्रम में झारखंड सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन फ्रेमवर्क पर भी एक परिचर्चा हुई। टास्क फोर्स और सीड द्वारा तैयार यह किसी भी राज्य का पहला ऐसा फ्रेमवर्क है, जिसका औपचारिक विमोचन माननीय मुख्यमंत्री ने 24 जुलाई को किया था। इस चर्चा में पंचायत राज संस्थानों, ट्रेड यूनियनों, श्रमिकों, आजीविका-आधारित संगठनों और कम्युनिटी लीडर्स सहित विविध स्टेकहोल्डर्स ने भाग लिया। इसका उद्देश्य झारखंड को सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन की दिशा में अग्रसर करना है जिसमे कोई भी व्यक्ति पीछे न छूटे।