Ranchi: सूर्या नारायण हांसदा की ‘फर्जी एनकाउंटर’ के खिलाफ में विभिन्न आदिवासी – मूलवासी संगठनों ने सूर्या हांसदा जी को श्रद्धांजलि देते हुए कैंडल मार्च निकाला । कैंडल मार्च जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम से निकल कर भारी भीड़ के साथ शहीद अल्बर्ट एक्का चौक पहुंची और सूर्या हांसदा जी के लिए नारा लगाया कि जब तक सूरज चांद रहेगा तब तक सूर्या नारायण हांसदा का नाम रहेगा, सूर्या हांसदा अमर रहे।
कैंडल मार्च के दौरान विभिन्न आदिवासी संगठनों ने सूर्या हांसदा जी के न्याय के लिए राज्य सरकार से सीबीआई जांच की मांग की।
कुख्यात अपराधी बता कर गोड्डा पुलिस प्रशासन द्वारा फर्जी एनकाउंटर किए जाने को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता निरंजना हेरेंज टोप्पो जी ने कहा कि, जिस तरह से स्व. सुर्या नारायण हांसदा जी के परिवार के लोगों का आरोप है कि मृत शरीर पर चोट के निशान और जले के निशान देखे गए वो कहीं से भी एनकाउंटर नहीं लग रहा है बल्कि उसको थर्ड डीग्री टार्चर देने के बाद गोली मारी गई है।
सामाजिक अगुवा कुन्दरसी मुंडा और फूलचंद तिर्की ने कहा कि संथाल आदिवासियों की आवाज और गुरु जी शिबू सोरेन की राह पर चलने वाले, अपने जल जंगल जमीन की लड़ाई लड़ने वाला, गरीबों के लिए मुफ्त शिक्षा हेतु विद्यालय खोलने वाला व्यक्ति कुख्यात अपराधी नहीं हो सकता है, इसलिए उनकी मौत की सीबीआई जांच होनी चाहिए।
लक्ष्मी नारायण मुंडा एवं डब्लू मुंडा जी ने संयुक्त रूप से कहा कि झारखंड की आदिवासी- मूलवासी समाज सूर्या हांसदा जी के दर्दनाक मौत को तब तक नहीं भूलेगी जब तक उनको न्याय नहीं मिल जाता है और उनके हत्यारों को सजा नहीं मिल जाती है।
निशा भगत, हर्षिता मुंडा और रवि मुंडा ने संयुक्त रूप से कहा कि, आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, अपने राज्य के आदिवासी बेटा सूर्या हांसदा के परिवार वालों के लिए अब तक कोई संवेदना व्यक्त नहीं करना बड़ा ही अचंभित करने वाली बात है। उन्होंने कहा कि अपने ही राज्य के सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपने ही पुलिस प्रशासन के हाथों एनकाउंटर कराना मतलब इस राज्य को जंगल राज बनाना है, अगर सूर्या हांसदा जी को न्याय दिलाना है तो उनकी मौत का सीबीआई जांच कराएं मुख्यमंत्री, अन्यथा आदिवासी मूलवासी समाज चरणबद्ध आंदोलन करने को तैयार होंगे।
आज के श्रद्धांजलि सह कैंडल मार्च कार्यक्रम में निरंजना हेरेंज टोप्पो, कुन्दरसी मुंडा, लक्ष्मी नारायण मुंडा, फूलचंद तिर्की, डब्लू मुंडा, निशा भगत, हर्षिता मुंडा, सिम्मी तिर्की, सुरेन्द्र लिंडा, छोटू टोप्पो, मंजुला गाड़ी, रवि मुंडा एवं सैकड़ों सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे।
