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बिरसा समाधि स्थल के पीछे की जमीन पर सरना झंडा गाड़ने और उखाड़ने पर किया गया मंथन

Ranchi: करम टोली रांची के धुमकुड़िया भवन में विभिन्न आदिवासी संगठनों एवं आदिवासी बुद्धिजीवियों की एक बैठक हुई।

पिछले दिनों लालपूर मौजा के बिरसा समाधि स्थल के पीछे की जमीन पर धार्मिक सरना झंडा गाड़ने और उखाड़ने पर जो विवाद उत्पन्न हुई है उस पर गहन चिंतन मंथन किया गया।

सामाजिक अगुवा एवं बुद्धिजीवियों ने संयुक्त रूप से कहा कि माननीय विधायक राजेश कच्छप जी एवं केन्द्रीय सरना समिति के स्वघोषित अध्यक्ष अजय तिर्की द्वारा सरना झंडा पर जो विवादित बयान दिया है उसे अविलंब वापस लेना होगा, क्योंकि उनके इस बयान से सरना समाज बहुत ही आक्रोशित हैं। समाज ने कहा, अगर दो दिनों के अंदर इन दोनों ने अपना बयान वापस नहीं लिया तो आक्रोशित सरना धर्मावलंबी आदिवासियों द्वारा जबरदस्त आंदोलन किया जाएगा। क्योंकि उनके बयान से सभी सरना धर्मावलंबियों को आहत पहुंची है और उनके धार्मिक भावनाओं को जबरदस्त ठोस पहुंचा है।
विवादित बयान में उपरोक्त लोगों ने कहा है कि धार्मिक सरना झंडा का उपयोग जमीन बचाने के लिए कोई भी धर्म समुदाय जैसे – हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी लोग कर सकते हैं।

सभी लोगों ने यह भी कहा कि समाधि स्थल के पीछे की जमीन किसकी है ये सरना समाज के लोग जांच पड़ताल करेंगे और दुध का दुध पानी का पानी किया जाएगा। जहां तक धार्मिक सरना झंडा गाड़ने की बात है तो ईसाई धर्म के लोगों को सरना समाज से माफी मांगना पड़ेगा, क्योंकि उन लोगों के द्वारा सरना समाज से ईसाई धर्म में धर्मांतरित होने के बावजूद वे वापस सरना झंडा का इस्तेमाल कर रहे हैं , जो बिल्कुल गलत है।

आज की बैठक में विशेष रूप से लक्ष्मी नारायण मुंडा, भुनेश्वर लोहरा, फूलचंद तिर्की, अमर तिर्की, डब्लू मुंडा,निरंजना हेरेंज टोप्पो, कुंदरसी मुंडा, निर्मला मुंडा, मेवा लकड़ा, सुमी कच्छप, मंगलदानी मिंज एवं अन्य सैंकड़ों लोग उपस्थित हुए।

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