झारखंड में कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण के लिए प्रस्तावित “कोचिंग सेंटर कंट्रोल एंड रेगुलेशन बिल 2025” का झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन ने किया स्वागत
Ranchi: झारखंड सरकार द्वारा राज्य में संचालित कोचिंग संस्थानों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से “झारखंड कोचिंग सेंटर कंट्रोल एंड रेगुलेशन बिल 2025” के मसौदे को तैयार किए जाने की पहल का झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन ने हार्दिक स्वागत किया है। यह विषय झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के लिए वर्षों से अत्यंत प्राथमिकता का रहा है और संस्था लगातार सरकार से पत्राचार, ज्ञापन और संवाद के माध्यम से कोचिंग संस्थानों के लिए सख्त कानून बनाने की मांग करती रही है।
संघ के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि झारखंड में चल रहे सैकड़ों कोचिंग संस्थानों में पारदर्शिता का अभाव, मनमानी फीस, शैक्षणिक गुणवत्ता की कमी और छात्रों पर अनावश्यक मानसिक दबाव जैसी गंभीर समस्याएं लंबे समय से सामने आ रही थीं। इन सब बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए इस प्रस्तावित कानून का आना एक ऐतिहासिक निर्णय होगा। यह न केवल छात्रों और अभिभावकों के अधिकारों की रक्षा करेगा, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में अनुशासन और मानकों की स्थापना भी करेगा।
राय ने आगे कहा कि प्रस्तावित विधेयक में कई स्वागत योग्य प्रावधान हैं, जैसे— कोचिंग संस्थान खोलने के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है।
गारंटी राशि के रूप में पांच लाख रुपये तक जमा करना होगा। संस्थान को संचालन से पहले जिला स्तरीय रेगुलेटरी कमेटी से अनुमति लेनी होगी।
छात्रों के नामांकन से पहले अभिभावकों की लिखित सहमति अनिवार्य की जाएगी।
हालांकि, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस प्रस्तावित विधेयक में “फीस नियंत्रण” का स्पष्ट प्रावधान भी जोड़ा जाना अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान समय में कोचिंग संस्थानों द्वारा अपनी इच्छा के अनुसार अत्यधिक फीस वसूली की जा रही है, जिसके कारण आर्थिक रूप से कमजोर और मध्यम वर्गीय परिवारों पर भारी बोझ पड़ता है। उन्होंने मांग की कि कोचिंग संस्थानों की शैक्षणिक गुणवत्ता और छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर फीस तय करने की प्रणाली विकसित की जाए, ताकि शिक्षा को व्यवसायिक शोषण से मुक्त किया जा सके।
राय ने कहा कि झारखंड में कई कोचिंग संस्थाएं अन्य राज्यों के टॉपर्स को अपने प्रचार में दिखाकर स्थानीय छात्रों को भ्रमित कर रही हैं। इसके माध्यम से वे यह दर्शाते हैं कि उनके यहां से उच्च परिणाम आ रहे हैं, जबकि हकीकत इससे बिल्कुल उलट होती है। ऐसी भ्रामक गतिविधियों पर भी सख्त प्रतिबंध की आवश्यकता है।
झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन ने राज्य सरकार से यह भी मांग की कि कोचिंग संस्थानों के लिए न्यूनतम अधोसंरचना, प्रशिक्षित शिक्षकों की अनिवार्यता, छात्र-शिक्षक अनुपात और मनोवैज्ञानिक परामर्श जैसी सुविधाओं को अनिवार्य किया जाए। जिले स्तर पर जन प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों, और अभिभावकों को शामिल करते हुए एक स्वतंत्र निगरानी समिति का गठन हो। प्रत्येक कोचिंग संस्थान के लिए छात्र संतुष्टि और परीक्षा परिणामों पर आधारित “परफॉर्मेंस रिपोर्ट” सार्वजनिक की जाए।
अंत में, राय ने सरकार को इस निर्णायक पहल के लिए बधाई दी और कहा कि अगर विधेयक को जनहित के अनुरूप मजबूत रूप से लागू किया जाता है, तो यह राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।