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डिजिटल इंडिया की सोच को भी न्यायिक समर्थन

अब ईमेल, पेनड्राइव या किसी भी अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दी जा सकती है RTI के तहत सूचना 

नई दिल्ली: सूचना के अधिकार को को डिजिटल युग से जोड़ते को दिल्ली हाई कोर्ट ने ने ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि आरटीआई अधिनियम, 2005 के तहत मांगी गई जानकारी अब ईमेल, पेनड्राइव या किसी भी अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दी जा सकती है। कोर्ट ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

मुख्य न्यायाधीश तुषार राव गेडेला और न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने यह साफ किया कि जब कानून पहले से इलेक्ट्रॉनिक रूप से सूचना देने की इजाजत देता है, तब केवल कागजों तक सीमित रहना तार्किक नहीं है। कोर्ट ने केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारियों को तीन माह के भीतर नए नियम बनाने का निर्देश भी दिया, ताकि डिजिटल रूप में सूचना देना बाध्यकारी बन सके।

याचिका में उठी अहम बातें
याचिकाकताओं- हेमंत जैन, आदित्य चौहान, अर्जुन चौधरी और अर्नव सिंह ने कोर्ट से कहा कि आरटीआई एक्ट की धारा 2(न), 4 (4) और 7 (9) के अनुसार सूचना डिजिटल रूप में भी दी जा सकती है, लेकिन अधिकतर विभाग आज भी केवल फोटोकॉपी या हार्डकॉपी देने पर अड़े रहते हैं। याचिका में मांग की गई कि सूचना को आसानी से, कम खर्च में ने और पारदर्शिता के साथ उपलब्ध वि कराया जाए। 

प्रतिवादी पक्ष की ओर से अमित तिवारी, शिवम सचदेवा, आयुषी श्रीवास्तव व आयुष तंवर ने भी अदालत को बताया कि कानून पहले से सूचना कोई-मोड में देने की अनुमति देता है। उन्होंने  कानून का हवाला देते हुए कहा कि डिस्क, फ्लॉपी, टेप, कैसेट, या अन्य किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप मेंर सूचना दी वि जा सकती है। अदालत ने माना कि डिजिटल साधनों के जरिए सूचना देनाि पारदर्शिता को और मजबूत करेगा, साथ ही आरटी आई को आम नागरिक के लिए सरल व सुलभ बनाएगा। 

यह फैसला डिजिटल इंडिया की सोच को भी न्यायिक समर्थन प्रदान करता है।

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