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झारखण्ड के चिकित्सकों ने उठाई 15 मांग 

न पूरा होने पर चुनाव के बाद कठोर निर्णय की दी धमकी 

 

रांची: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आई एम ए )और  झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ (झासा)  की राज्य इकाई की महत्वपूर्ण  बैठक संपन्न हुई। चिकित्सकों ने संबंधित  समस्याओं एवं लंबित मांगों पर चर्चा की और सर्वसम्मति से 15 निर्णय लिए गए।
15 निर्णय 
मिक्सोपैथी के प्रयास को तत्काल प्रभाव से रोका जाए
मॉडर्न मेडिसिन, होम्योपैथी, आयुर्वेद सभी की अपनी पहचान है और अपना इतिहास है। मरीज  की देखभाल एवं सुरक्षा के दृष्टिकोण से मेडिसिन के सभी पद्धति को मिक्स कर देना भयावह होगा। इसलिए मिक्सोपैथी के प्रयास को तत्काल प्रभाव से रोका जाए।
मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो 

देश के 23 राज्यों में चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ के साथ हिंसा और अस्पताल में तोड़फोड़ को रोकने के उद्देश्य से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू है। झारखंड राज्य में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट 23 मार्च 2023 को ही कैबिनेट से पारित हुआ और विधानसभा के पटल पर रखा गया। विधानसभा में बहस के बाद इसे प्रवर समिति को सौंप दिया गया। इस आशय के साथ की एक महीने के अंदर प्रवर समिति की रिपोर्ट सौंप दी जाए। यह  दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक  साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इस पर अभी तक कुछ भी नहीं किया गया। एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897 के प्रावधानों के अनुसार  मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को यथाशीघ्र लागू किया जाए।
 50 बेड तक अस्पताल एवं क्लीनिक को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट  (रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन )एक्ट 2010 से मुक्त किया जाए

50 बेड तक के छोटे एवं मध्यम स्तर के अस्पताल एवं क्लीनिक को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट  (रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन )एक्ट 2010 से मुक्त किया जाए। निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवाएं की अध्यक्षता  एवं आईएमए की सहभागिता में एक टीम बनाई गई थी, जिसने क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का फाइनल प्रारूप तैयार किया और विभाग को सौंपा। फाइल  विगत 01 वर्ष से  विभाग में यथावत पड़ी हुई है।
मेडिकल बिल जी एस टी मुक्त हो
स्वास्थ्य पर जीएसटी ,बीमारी पर टैक्स  जैसा है। मरीज के बीमारी पर टैक्स अनुचित है, इसे जीएसटी से मुक्त किया जाए। संगठन के मेंबरशिप पर, सेवाओं पर, आधुनिक तकनीक से रूबरू होने के उद्देश्य से आयोजित साइंटिफिक सेशन को जीएसटी से मुक्त किया जाए। जीवन रक्षक एवं आवश्यक उपकरण, ऑक्सीजन ,दवाओं, लेबोरेटरी जांच, स्वास्थ्य बीमा जिसके जीएसटी रेट वर्तमान में 12% से 28% तक है उसे घटाया जाए।
मेडिकल प्रोफेशन को क्रिमिनल प्रोजैक्यूशन से मुक्त किया जाए

मरीज के इलाज में किसी चिकित्सक का कोई आपराधिक इरादा नहीं होता। चिकित्सा अपने ज्ञान एवं अनुभव से अपना सर्वोत्तम प्रयास करता है। किसी भी अप्रिय घटना के उपरांत डॉक्टरों पर आपराधिक मुकदमा चलना अप्रासंगिक है। इसलिए मेडिकल प्रोफेशन को क्रिमिनल प्रोजैक्यूशन से मुक्त किया जाए।

चिकित्सा पेशा को कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट से मुक्त किया जाए

चिकित्सा पेशा को कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट से मुक्त किया जाए। वर्तमान कानून में कंपनसेशन के कैंपिंग के लिए आवश्यक सुधार की जाए।
 
रेडियोलॉजिस्ट का दो केंद्र में ही कार्य करने का प्रतिबंध हटाया जाए
 
पीसीपीएनडीटी एक्ट  में सुधार की जरूरत है। इसका नियंत्री अधिकारी पूर्व की तरह जिले के सिविल  सर्जन को बनाया जाए, ताकि अल्ट्रासाउंड की खरीद- बिक्री, उसका निबंधन, निरीक्षण सही समय पर किया जा सके। वर्तमान प्रावधानों के अनुसार झारखंड राज्य में कोई भी रेडियोलॉजिस्ट सिर्फ दो केंद्रों में अल्ट्रासाउंड कर सकता है। इसलिए राज्य के अधिकांश अल्ट्रासाउंड रेडियोलॉजिस्ट की अभाव में टेक्नीशियन द्वारा संचालित हो रहे हैं। पीसीपीएनडीटी एक्ट( लिंग परीक्षण रोकना )के उद्देश्य से यह गलत प्रतीत होता है। ऐसे में रेडियोलॉजिस्ट का दो केंद्र में ही कार्य करने का प्रतिबंध हटाया जाए।
आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत इलाज के दर रिवाइज हो 
आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत इलाज के दर और संतुलित है। अन्य राज्यों की तरह इसे रिवाइज किए जाने की जरूरत है।लाइसेंसिंग परीक्षा(NEXT) बंद हो 

इंडियन मेडिकल कॉलेज से पास आउट इंडियन मेडिकल स्टूडेंट्स का प्रेक्टिस करने या पीजी एग्जाम देने के लिए लाइसेंसिंग परीक्षा(NEXT) अन्याय है। इसे तत्काल प्रभाव से वापस लेना चाहिए।

चिकित्सा पदाधिकारी के पद की संख्या बढे
राज्य में जनसंख्या के अनुरूप चिकित्सा पदाधिकारी के पद की संख्या बढ़ाई जाए और इसके लिए a)  स्वास्थ्य उपकेंद्र में एवं वेलनेस केंद्र में एमबीबीएस ग्रेजुएट का पद सृजित हो और उसके विरुद्ध बहाली हो। b) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा एड हॉक एवं कॉन्ट्रैक्ट पर डॉक्टरों की बहाली बंद हो।
गलत आरोप लगाने वालों पर कार्रवाई हो 
विभाग द्वारा किसी चिकित्सक पर लगाए गए  आरोप जांच  या न्यायालय में अगर गलत सिद्ध होते हैं, वैसे स्थिति में आईपीसी 211 के तहत आरोप लगाने वाले पदाधिकारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का प्रावधान तय हो ।
ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थापित चिकित्सक को विशेष सुविधा
सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थापित/ प्रति नियुक्त चिकित्सा पदाधिकारी को विशेष सुविधा दिए जाने का प्रावधान है:- सुरक्षा की दृष्टिकोण से अंचल अधिकारी के समक्ष शक्ति प्रदत्त हो।
स्थाई विकलांगता/ मृत्यु की स्थिति में न्यूनतम 5 करोड़ का स्वास्थ्य बीमा हो। रुरल अलाउंस दिए जाएं।
नॉन एमबीबीएस शिक्षकों की विदाई 
 
मेडिकल कॉलेज में चिकित्सक ही शिक्षक होंगे ,यह तय करना होगा। शिक्षक की न्यूनतम योग्यता एमबीबीएस होगी। नॉन एमबीबीएस शिक्षकों की पहचान कर उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाया जाए और रिक्त पदों पर योग्य डॉक्टर की शिक्षक के रूप में बहाली की जाये।
केंद्र सरकार के चिकित्सकों की तरह झारखण्ड के चिकित्सकों को भी सुविधा 
केंद्र सरकार ने सरकारी चिकित्सकों(एम बी बी एस, दंत संवर्ग एवं दोनों ही पद्धति के विशेषज्ञ चिकित्सकों )के लिए डायनेमिक ए सी पी दिए जाने का प्रावधान कर रखा है। बिहार सरकार ने इसे हू -बहु अपनाया । झारखंड सरकार ने इसमें बदलाव कर डालें। हमारी मांग है कि  केंद्र सरकार के तर्ज पर हमें डायनेमिक एसीपी दिया जाए।
1988 बैच के चिकित्सक अभी तक मेडिकल ऑफिसर ही है। 36 साल बीत गए ,लेकिन उनकी प्रोन्नति नहीं हुई। झारखंड के डायरेक्टर में पदस्थापित सभी चिकित्सक एवं समस्त जिले के सिविल सर्जन अभी तक मेडिकल ऑफिसर ही है और प्रोन्नति की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

मांग पूरा न होने पर आंदोलन 

यह हमारी लंबित मांगों की सूची है, जिसे सरकार एवं विभाग द्वारा लगातार अनदेखा किया जा रहा है। संगठन ने इसे गंभीरता से लिया है। चिकित्सकों में काफी रोष है। चिकित्सकों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि  विभाग एवं सरकार के द्वारा हमारी मांग नहीं मानी गई ,तो आचार संहिता की अवधि के बाद  संगठन किसी ठोस निर्णय लेने के लिए मजबूर होगा, जिसकी सारी जिम्मेवारी विभाग और सरकार की होगी।
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1 Comment
  1. Umesh kumar says

    बिल्कुल सही मांग है, स्वास्थ्य किसी भी इंसान की सबसे जरूरी चीज है। इसे सबके लिए आसान बनाना चाहिये।

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