Bhognadih: 1855 की ऐतिहासिक हूल क्रांति की जन्मभूमि भोगनाडीह एक बार फिर संघर्ष का केंद्र बन गई है। हूल दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को यहां आदिवासी ग्रामीणों और पुलिस बल के बीच तीखी झड़प हुई। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का प्रयोग करना पड़ा।
ताले की घटना से भड़के आदिवासी, पुलिस पर तीर और पत्थर से हमला
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सोमवार सुबह भोगनाडीह स्थित सिदो-कान्हू पार्क का ताला अचानक खोल दिया गया। इसे लेकर सिदो-कान्हू हूल फाउंडेशन एवं स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोगों में आक्रोश फैल गया। नाराज़ ग्रामीणों ने पुलिस पर तीर और पत्थरों से हमला कर दिया, जिसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। हालात को संभालने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और लाठीचार्ज करना पड़ा। घायलों को बरहेट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है।
प्रतिमा स्थल पर श्रद्धांजलि, प्रशासन सतर्क
घटना के बाद भी ग्रामीण सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण हेतु पहुंचे। वर्तमान में स्थिति सामान्य है, परंतु पूरे गांव में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। उपायुक्त हेमंत सती, पुलिस अधीक्षक अमित कुमार सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी स्थल पर मौजूद हैं और स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
पूर्व से ही चल रहा था तनाव, 13 कार्यकर्ता हिरासत में
इस संघर्ष की पृष्ठभूमि में पहले से ही तनाव व्याप्त था। शनिवार की रात प्रशासन ने फाउंडेशन के 13 कार्यकर्ताओं को टेंट निर्माण के दौरान हिरासत में लिया था, जिससे ग्रामीणों में असंतोष फैल गया था। विरोध स्वरूप रविवार को मंडल मुर्मू के नेतृत्व में ग्रामीणों ने स्मारक स्थल पर ताला जड़ दिया और पारंपरिक हथियारों के साथ विरोध प्रदर्शन किया।