सुरक्षा और मूलभूत सुविधाओं की माँग करना पड़ा भारी
सीयूजे प्रशासन द्वारा छात्रों पर एकतरफा कार्रवाई की कड़ी निंदा
Ranchi: विद्यार्थी चेतना संघ ने केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड (CUJ) प्रशासन द्वारा 10 छात्रों को आगामी सेमेस्टर में पंजीकरण से वंचित करने के आदेश पर कड़ी आपत्ति प्रकट की है और इसे शिक्षा के मौलिक उद्देश्य को कुचलने वाला बताया है।
संघ ने एक विज्ञप्ति जारी कर कार्रवाई की आलोचना की है और इसके खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है।
अपने विज्ञप्ति में संघ ने लिखा है कि दिनांक 23 जून 2025 को केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड (CUJ) प्रशासन द्वारा एक कार्यालय आदेश (क्रमांक: CUJ/PP/Report Submission/2025/44/894) जारी किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय के 10 छात्रों को आगामी सेमेस्टर में पंजीकरण से वंचित कर दिया गया है। प्रशासन ने इन छात्रों पर 25 अप्रैल 2025 को “अशिष्ट व्यवहार” और “सेमेस्टर परीक्षा में बाधा” डालने का आरोप लगाया है। यह कार्रवाई न केवल तथ्यहीन है, बल्कि पूरी तरह से एकतरफा और द्वेषपूर्ण प्रतीत होती है।
विज्ञप्ति के अनुसार जिस दिन की घटना का हवाला दिया गया है, उस दिन विश्वविद्यालय में कोई परीक्षा आयोजित नहीं की जा रही थी। छात्रों द्वारा न कोई अनुशासनहीनता की गई थी और न ही किसी परीक्षा कार्य में व्यवधान डाला गया। बल्कि, 24 अप्रैल 2025 को महिला छात्रावास के समीप एक युवक को आपत्तिजनक स्थिति में पाए जाने के गंभीर मामले को लेकर छात्राओं ने प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग की थी। इसके साथ ही छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय में लंबे समय से उपेक्षित मूलभूत सुविधाओं — जैसे फ्रीशिप स्कीम की प्रभावी क्रियान्वयन, सभी छात्रों को शत-प्रतिशत वाई-फाई सुविधा, सभी छात्रों को समुचित हॉस्टल सुविधा, तथा छात्र संघ का गठन — जैसे मुद्दों को लेकर शांतिपूर्ण रूप से अपनी माँगें रखी गई थीं।
प्रशासन ने अपनी विफलताओं और जवाबदेही से बचने के लिए छात्रों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का प्रयास किया है। न तो छात्रों को किसी जांच प्रक्रिया की सूचना दी गई, न ही उन्हें अपनी बात रखने का अवसर मिला। करीब दो महीने बाद गर्मी की छुट्टियों में जब सभी छात्र कोर्स के अनुसार इंटर्नशिप पर है और अपने भविष्य के लिए तैयारी कर रहे है उस समय सीधा नोटिस जारी कर उनके भविष्य पर आघात किया गया है।
यह घटनाक्रम विश्वविद्यालय के लोकतांत्रिक मूल्यों और छात्र अधिकारों पर गंभीर हमला है। यदि छात्रों को उनकी समस्याओं और अधिकारों के लिए आवाज उठाने पर दंडित किया जाएगा, तो यह न केवल विश्वविद्यालय के माहौल को असुरक्षित बनाता है बल्कि शिक्षा के मौलिक उद्देश्य को भी कुचलता है।
संघ ने यह मांग की है दिनांक 23.06.2025 के OFFICE ORDER को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। प्रशासनिक उत्पीड़न की नीति समाप्त की जाए और छात्रों के मानसिक उत्पीड़न के लिए सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगी जाए।