Ranchi: आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने स्थापना दिवस समारोह में कहा है कि झामुमो ने झारखंड आंदोलन की सौदेबाजी की, जबकि आजसू ने संघर्ष किया। आजसू ने 1986 से 2000 तक सांसद–विधायक बनाए बिना संघर्ष किया।
सुदेश महतो ने कहा है कि हेमंत सरकार चोरी और लूट नहीं, जनता के अधिकारों की डकैती में जुटी है। जनता इस सरकार से मात्र छह माह में ही त्रस्त हो चुकी है। आजसू कार्यकर्ता हेमंत सरकार को उखाड़ फेंकने की तैयारी करें।
श्री महतो ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जाति जनगणना की घोषणा का आजसू स्वागत करती है। हमारी मांग है कि जाति के आधार पर आरक्षण दिया जाए।
श्री महतो ने कहा कि झारखंड निर्माण में बंगाल और ओडिशा के साथियों की भी भूमिका रही है। राज्य के अंदर चलने वाली सबसे लम्बी लड़ाई है झारखंड आंदोलन। उन्होंने कहा कि आजसू ने झारखंड के लिए संघर्ष किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपाई ने अलग राज्य निर्माण किया।
श्री महतो ने कहा कि आज से आजसू एक नए तेवर में दिख रही है। अब राज्य के नवनिर्माण का संकल्प लेकर यहां से हमलोग जाएंगे।
श्री महतो ने कहा कि राज्य को एक नई सोच के साथ आगे लेकर जाने की आवश्यकता है। वर्तमान हेमंत सरकार झूठ बोलकर और गुमराह कर राजनीति कर रही है। महिलाओं को सत्ता हासिल करने का आधार बनाया गया और अब छह लाख महिलाओं का नाम मइया योजना से काटा जा रहा है। इसका जवाबदेह कौन होगा?
श्री महतो ने कहा कि सारा तंत्र जनता को धमकाने में लगा है। जमीन के नाम पर सारा अपराध हो रहा है। एक जमीन की छह बार रजिस्ट्री हो रही है और सीओ तथा थाना फर्जी करने वालों के पक्ष में वास्तविक मालिक को प्रताड़ित करते हैं।
श्री महतो ने कह की न तो नियोजन नीति बनी, न विस्थापन नीति और न ही स्थानीय नीति। इस सरकार को जनता की कोई चिंता नहीं।
चंद्रप्रकाश चौधरी का संबोधन
सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने कहा कि झारखंड की हालत बहुत ही बुरी हो गई है। कोयला और बालू की लूट चल रही है। न तो स्थानीय नीति बनी और न ही नियोजन नीति। आजसू के आंदोलनकारियों ने संघर्ष कर अलग राज्य बनवाया लेकिन यह सरकार आंदोलनकारियों का न तो सम्मान कर रही है और न ही पेंशन दे रही है।
निर्मल महतो का संबोधन
मांडू विधायक निर्मल महतो ने कहा कि आज आजसू स्थापना दिवस पर झारखंड के शहीदों को याद कर रही है क्योंकि उनकी कुर्बानी पर अलग राज्य बना है।
प्रवीण प्रभाकर का संबोधन
झारखंड आंदोलनकारी प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि आजसू की स्थापना के बाद नए तेवर में उग्र संघर्ष शुरू हुआ जिसके बाद केंद्र सरकार को वार्ता के लिए मजबूर होना पड़ा। झामुमो सिर्फ़ कांग्रेस और राजद की गोद में खेलता रहा और आंदोलन की 1993 में सौदेबाजी कर ली।
डॉ देवशरण भगत का संबोधन
मुख्य प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने कहा कि शहीदों के सपनों का झारखंड अभी नहीं बना है। इसके लिए एक और लड़ाई छेड़ने की आवश्यकता है।