Ranchi: जन इंसाफ मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शहाबुद्दीन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा का पैगंबर मोहम्मद ‘सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम’ पर विवादास्पद टिप्पणी के बाद 10 जून 2022 को रांची में मुस्लिम समुदाय के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोली से साहिल और मुदस्सिर की मौत हो गई थी। मौत होने के बाद भी पुलिस प्रशासन में उन्हें ही अभियुक्त बना दिया था जो की पूरी तरह दुर्भाग्यपूर्ण था।
शहाबुद्दीन ने कहा कि किसी भी विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन के पास लाठीचार्ज,आंसू,गैस,पानी के फव्वारे और रबड़ की गोली का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इतने विकल्प होने के बावजूद रांची पुलिस प्रशासन ने उस समय सीधे शूट करने का आदेश पारित किया था।
शहाबुद्दीन उस समय भी हेमंत सोरेन की सरकार थी लेकिन इस मुद्दे पर उस समय सही जांच नहीं हो पाई और ना ही पुलिस प्रशासन से यह सवाल किया गया कि आखिर इतने सारे विकल्प होने के बावजूद उन्होंने प्रदर्शनकारियों को सीधे शूट क्यों किया जबकि इस तरह के मामलात पूरे देश में कई जगह हुए जहां मुस्लिम समुदाय नहीं था लेकिन वहां कोई भी शूट का आदेश पुलिस प्रशासन की ओर से नहीं दिया गया था और आज भी नहीं दिए जाते हैं। इस घटना की निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच नहीं हो पाई जिसके कारण पुलिस प्रशासन के साथ-साथ कुछ और सामाजिक तत्व भी अदालत के कटघरे में आने से बच गए। तीन साल बीत चुके हैं साहिल और मुदस्सिर के परिवार को अब तक इंसाफ नहीं मिला है।
रांची की मुस्लिम जनता हेमंत शासन काल के इस काले अध्याय को अब तक नहीं भूली है। जन इंसाफ मंच वर्तमान हेमंत सरकार से साहिल और मुदस्सिर के मामले में अपनी खामोशी तोड़ने और उनके परिवार को इंसाफ दिलाने की मांग करता है।