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‘कांग्रेस का “वन नेशन, नो इलेक्शन” बकवास क्योंकि शुरू के चार चार इलेक्शन वन नेशन वन इलेक्शन के तहत कराए गए’

एक राष्ट्र– एक चुनाव कराने से केंद्र के राजकोष की होगी बचत: सुनील कुमार सिंह

Ranchi: भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश मीडिया प्रभारी सह राष्ट्र सेवा फाउंडेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने एक देश– एक चुनाव कराने को लेकर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि_ “एक देश– एक चुनाव” कराने से केंद्र के राजकोष की बचत होगी। क्योंकि, हर 5 पांच साल में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव का भी आयोजन किया जाता है। वहीं, देश में हर साल अलग-अलग समय पर विधानसभा चुनाव होते हैं। इसकी जिम्मेदारी भारतीय निर्वाचन आयोग की होती है। जिससे चुनावी खर्च का बोझ देश पर पड़ता है। जो एक हीं समय पर चुनाव होने से राजकोष की बचत होगी।

सुनील सिंह ने कहा कि चुनाव के समय राज्यों में आचार संहिता लागू हो जाती है और यह परिणाम जारी होने तक लागू रहती है। ऐसे में इससे विकास परियोजनाओं में देरी होती है। “एक देश_ एक चुनाव” होने पर ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान अक्सर जांच एजेंसियों द्वारा काले धन के उपयोग को लेकर आरोप लगाए जाते हैं। ऐसे में एक देश_ एक चुनाव होने पर इस तरह की घटनाओं पर रोक लगेगी।

कहा कि चुनाव के समय देश भर में फोर्स से लेकर विभिन्न सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगती है इससे उनके सरकारी काम में भी व्यवधान होता है ऐसे में साल में एक ही बार इस तरह की आवश्यकता पड़ेगी। श्री सिंह ने विपक्षी कांग्रेस पार्टी के “वन नेशन– नो इलेक्शन” की विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वन नेशन– वन इलेक्शन आजाद भारत l में शुरू से हीं लागू किया गया था, जो 15 साल तक चला था।

शुरू के 1951– 52, 1957, 1962, और 1967 में चार-चार चुनाव एक साथ हुआ था, वो कैसे हुआ..? चुकी संविधान निर्माताओं ने ये तय किया था कि देश के सारे चुनाव एक साथ होंगे, पर संविधान निर्माताओं ने ये अनुमान नहीं लगा पाया था कि कांग्रेस की सरकार ने 15-20 सालों में हीं अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल कर 1968–69 में विधानसभा के सरकारों को गिरा देगी और तब यह सारा तंत्र बदल जाएगा।

श्री सिंह ने कहा कि 70 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने साल 1970 में लोकसभा भंग कर दी थी और तय समय सीमा से 15 महीने पहले 1971 में आम चुनाव करवा दिए थे। क्योंकि वे उस समय अल्पमत सरकार चला रही थीं, और वे पूर्ण सत्ता चाहती थीं। उनके इस फैसले ने राज्य विधानसभा चुनावों को आम चुनाव से अलग कर दिया। और इस व्यवस्था या परंपरा को खत्म कर धीरे-धीरे देश को हमेशा चुनावी मोड में रखने की बुनियाद तैयार की गई। उसी “वन नेशन– वन इलेक्शन” व्यवस्था या परंपरा को फिर से बहाल करने की जरूरत है। जो संविधान में संशोधन कर किया जा सकता है।

श्री सिंह ने कहा कि दुनिया के 48 देशों में “एक देश– एक चुनाव” होता है और इलेक्शन के डेट और दिन भी फिक्स होता है। और उन 48 देशों में सिर्फ रविवार को हीं इलेक्शन होता है। ताकि रविवार छुट्टी का दिन होने से लोगों का डिस्टरबेंस ना हो, ऑफिस कम से कम डिस्टर्ब हो, लोगों को छुट्टियां ना करना पड़े! कहा कि विदेशों में पहला इलेक्शन हो जाने के साथ हीं बाद वाले अगला इलेक्शन 4 साल के बाद या 5 साल बाद वाले इलेक्शन फिक्स हो जाता है, कि अगला इलेक्शन कब किस दिन तारीख को होगा।
अर्थात समय की मांग है_एक राष्ट्र– एक चुनाव

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