झारखंड सरकार ने दिया वकीलों को स्वास्थ्य बीमा का उपहार
झारखंड बन गया अधिवक्ताओं के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने वाला पहला राज्य
रांची: अधिवक्ताओं के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने वाला पहला राज्य बन गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को रांची के खेलगांव स्थित हरिवंश ताना भगत सभागार में अधिवक्ता स्वास्थ्य बीमा योजना का औपचारिक शुभारंभ किया, जो झारखंड के कानूनी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
उद्घाटन के दौरान उन्होंने वकीलों को स्वास्थ्य बीमा कार्ड भी वितरित किए, जो योजना के लाभों के शुभारंभ का प्रतीक है।
इस पहल के साथ, झारखंड अधिवक्ताओं और उनके परिवारों के लिए एक समर्पित स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है।
झारखंड उच्च न्यायालय और विभिन्न जिला न्यायालयों के लगभग 27,000 वकील, उनके आश्रितों के साथ, अब राज्य प्रायोजित स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत कवर किए जाएंगे।
इस योजना का उद्देश्य अधिवक्ताओं और उनके परिवारों को उपचार से संबंधित खर्चों को कवर करके चिकित्सा आपात स्थिति के दौरान वित्तीय संकट से बचाना है। इससे कानूनी पेशेवरों को स्वास्थ्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता दोनों मिलने की उम्मीद है, जिससे वे स्वास्थ्य सेवा लागत के बोझ के बिना अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
इसे ऐतिहासिक कदम बताते हुए मुख्यमंत्री सोरेन ने इस योजना को राज्य के कानूनी बिरादरी के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित उपहार बताया।
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इस शुभारंभ समारोह में मंत्री राधाकृष्ण किशोर, सुदिव्या सोनू, दीपिका पांडे सिंह, शिल्पी नेहा तिर्की, इरफान अंसारी और संजय यादव सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अजय कुमार; महाधिवक्ता राजीव रंजन; झारखंड राज्य बार काउंसिल के सदस्य; राज्य भर के बार एसोसिएशनों के अध्यक्ष और सचिव; और हजारों वकील भी मौजूद थे और उन्होंने इस कदम का बड़े उत्साह के साथ स्वागत किया।
अधिवक्ता स्वास्थ्य सुरक्षा योजना वकीलों के साथ छलावा: भाजपा विधि प्रकोष्ठ
अधिवक्ता स्वास्थ्य सुरक्षा योजना एक छलावा है जो आपस में वकीलों में विवाद खड़ा कर देगा ।इस पूरे प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सुधीर श्रीवास्तव ने बताया राज्य सरकार ने 9 करोड़ रुपए जमा किया झारखंड अधिवक्ता कल्याण फंड में और 6000 रुपए प्रति अधिवक्ता का बीमा का प्रीमियम है इस चलते कुल 15000 अधिवक्ता ही इसमें शामिल हो पाएंगे पर राज्य में 40000 अधिवक्ता हैं तो बाकी 25000 अधिवक्ता कहां जाएंगे?
झारखंड का अधिवक्ता स्वास्थ्य सुरक्षा योजना में वैसे अधिवक्ता जिन्होंने वेरीफिकेशन फॉर्म नहीं भरा है, वैसे अधिवक्ता जिन्होंने अपना लाइसेंस सरेंडर कर दिया है, वैसे अधिवक्ता जिनके लाइसेंस सस्पेंड है या वैसे अधिवक्ता जिन्होंने अपना ए आई बी ई की परीक्षा पास नहीं की है वे इस स्वास्थ्य सुरक्षा योजना से दूर होंगे कि नहीं यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
। झारखंड सरकार जिस तरह अधिवक्ताओं के एक वर्ग को खुश करने के लिए इस प्रकार की योजना लाई है अच्छा यह होता की ऐसी योजना में झारखंड बार काउंसिल के साथ-साथ राज्य के सभी बार एसोसिएशन की सहमति भी ली जाती है और आम अधिवक्ताओं से भी राय मांगी जाती ।
राज्य के बाकी बचे 25000 अधिवक्ता अब भी परेशान हैं और उससे ज्यादा वो नए अधिवक्ता परेशान हैं जिन्होंने अभी अभी प्रैक्टिस शुरू की है कि उनका नाम कैसे जुड़ेगा योजना में।
अधिवक्ता का सबसे बड़ा समूह बार कौंसिल को इस पूरे प्रकरण से दूर रखा गया है और पूरे मामले को केवल ट्रस्टी कमेटी देख रही है।