रांची: महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर झारखंड क्षत्रिय-राजपूत महापंचायत के तत्वाधान में आज राजधानी रांची महानगर में शौर्य, त्याग, साहस एवं बलिदान की प्रतिमूर्ति, माँ भारती के महान सपूत, राजपूत कुल गौरव, तथा राष्ट्र गौरव, अजेय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जयंती समारोह के अवसर पर धुर्वा सेक्टर-2 अवस्थित आधार-स्तंभ एवं तैलचित्र पर पुष्पांजलि-माल्यार्पण कार्यक्रम की शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर तथा राष्ट्रीय गान के साथ किया गया।
“संघे शक्ति कलियुगे”! क्षत्रिय धर्म युगे युगे”
जयंती समारोह के मौके पर समाज के समक्ष वर्तमान एवं भविष्य की चुनौतियों का दृढ़ता पूर्वक प्रभावी व ठोस तरीके से एक साथ मिलकर सामना करने एवं निपटने के साथ उनके आदर्श, सिद्धांतों और नैतिक मूल्यों पर चलने का संकल्प लेते हुए कहा की “संघे शक्ति कलियुगे”! क्षत्रिय धर्म युगे युगे” जिस तरह कलयुग में संघ में हीं शक्ति है, ठीक उसी तरह क्षत्रिय धर्म की भी गाथा युग युग तक लिखा जाता रहेगा।
हमारा देश की इतिहास हीं क्षत्रिय धर्म, कर्म पर टीका है
हमारा देश की इतिहास हीं क्षत्रिय धर्म, कर्म पर टीका है! चाहे रामायण की राम रावण युद्ध गाथा हो, चाहे महाभारत की युद्ध गाथा हो,कृष्ण और कंस की युद्ध गाथा हो या अन्य किसी भी तरह की इतिहास की गाथा हो, क्षत्रिय वर्णन की हीं मुख्य चरित्र चित्रण किया गया है, जिसे कोई भी मिटा नहीं सकता। जयंती समारोह में उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि भारतीय संस्कृति में महाराणा प्रताप जयंती को देशभक्ति के रूप में मनाया जाता है। महाराणा प्रताप वीरता और बहादुरी के प्रतीक थे। महाराणा ने दुनिया को बताया कि कठिनाइयों का सामना करते हुए भी हमें अपने सिद्धांतों पर अडिग रहना चाहिए। वहीं वक्ताओं ने कहा कि हल्दीघाटी युद्ध में मुगल सम्राट अकबर के खिलाफ लड़ते हुए महाराणा ने अपनी अदम्य साहस, और वीरता का परिचय दिया था।
“महाराणा” का खिताब हीं उनका साहस और वीरता का परिचय देता
जिसके कारण मुगल सम्राट अकबर ने भी उनकी मृत्यु पश्चात रोया था “महाराणा” का खिताब हीं उनका साहस और वीरता का परिचय देता है। मां भारती के महान सपूत, राजपूत कुल गौरव, अजेय अमर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का अदम्य साहस, वीरता, पराक्रम, शौर्य, दृढ़ प्रण, स्वभिभान, त्याग और बलिदान की प्रतिमूर्ति तथा मातृभूमि के प्रति समर्पण हमारे लिए प्रेरणादाई है। महाराणा प्रताप सिंह जी की गौरवशाली जयंती के शुभ अवसर पर राजपूताना की आदर्श गणवेश में भारी संख्या मे राजपूत सरदार तथा क्षत्राणियां शामिल हुए।
महापुरुषों के नाम पर समाज मे एकता लाना बहुत जरूरी है। क्योंकि महापुरुषों पूरे समाज के होते है, किसी वर्ग विशेष का नही ।
महाराणा प्रताप🙏