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झारखण्ड सरकार घरेलू कामगारों की सुरक्षा के लिए कानून कर रही है तैयार 

रांची: झारखंड सरकार घरेलू कामगारों की स्थिति सुधारने के लिए जल्द ही झारखंड निजी नियोजन एजेंसी एवं घरेलू कामगार विनियमन विधेयक 2025 पेश करेगी। 

संयुक्त श्रम आयुक्त प्रदीप लकड़ा ने बुधवार को शहर के एक होटल में झारखंड निजी नियोजन एजेंसी एवं घरेलू कामगार विनियमन विधेयक-2016 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आवश्यक संशोधनों एवं सुझावों पर चर्चा के लिए हुई बैठक के दौरान यह जानकारी साझा की। लकड़ा ने कहा, “2016 में पारित झारखंड निजी नियोजन एजेंसी एवं घरेलू कामगार विनियमन विधेयक-2016 का नाम बदलकर झारखंड निजी नियोजन एजेंसी एवं घरेलू कामगार विनियमन विधेयक-2025 रखा जाएगा और इसे फिर से सदन में पेश किया जाएगा। पिछली बार राज्यपाल ने सजा से संबंधित कुछ धाराओं पर आपत्ति जताते हुए विधेयक को लौटा दिया था। अब विधेयक को नए सिरे से तैयार किया गया है और कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे नए नाम से फिर से सदन में पेश किया जाएगा।”

 प्रस्तावित विधेयक की मुख्य विशेषताएं बताते हुए लकड़ा ने कहा, ‘अब तक तैयार विधेयक के अनुसार निजी रोजगार कंपनियों का पंजीकरण अनिवार्य होगा और घरेलू कामगारों से आठ घंटे से अधिक काम नहीं कराया जा सकेगा। यदि ओवरटाइम काम कराना पड़ता है तो नियोक्ता को दोगुना पारिश्रमिक देना होगा। घरेलू कामगारों के अधिकारों की रक्षा और उनके शोषण को रोकने में यह प्रावधान महत्वपूर्ण होगा।’ 

बैठक का आयोजन बाल कल्याण संघ और एटीएसईसी झारखंड चैप्टर ने किया था। मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य ममता कुमारी मौजूद थीं। उनके अलावा जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी, बाल कल्याण समिति के सदस्य और अन्य संबंधित पदाधिकारी बैठक में शामिल हुए। ममता कुमारी ने महिला अधिकारों के संदर्भ में ऐसे विधेयक के महत्व के बारे में बताया। 

उन्होंने कहा, ‘यह विधेयक झारखंड की लाखों महिलाओं के जीवन को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। महिलाएं अब हर क्षेत्र में अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन कर रही हैं, इसलिए समाज को उनके योगदान को प्रोत्साहित करना चाहिए और उन्हें सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करने की दिशा में सार्थक कदम उठाने चाहिए।’ बाल कल्याण संघ के संस्थापक संजय मिश्रा ने कहा कि यह विधेयक झारखंड में हजारों घरेलू कामगारों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह विधेयक न केवल सुरक्षित प्रवास सुनिश्चित करेगा बल्कि मानव तस्करी को प्रभावी ढंग से रोकने में भी मदद करेगा।’’

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