रांची: झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा रांची की ओर सेक्टर 3 ए एन टाइप घुमकुड़िया भवन प्रांगण में वीर बुधु भगत जी का 233 वां जन्म जयंती मनाया गया .
इस कार्यक्रम का मुख्य वक्ता के रूप में क्षेत्रीय संयोजक संदीप उरांव एवं सोमा उरांव ने वीर बुधु भगत जी के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगत ने अपने देश के लिए समाज के लिए धर्म के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने ने कहा कि ऐसे महान वीर स्वतंत्रता सेनानी के जन्मदिन म नाने का अवसर मिलना गौरव की बात है।
इस कार्यक्रम मे सोमा उरांव, हिंदूवा उरांव, पिंकी खाया , रवि प्रकाश उरांव प्रदीप टोप्पो, शनि उरांव, साजन मुंडा, राजू उरांव , लोरया उरांव, जय मंत्री उरांव, एवं अन्य उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष मेघा उरांव ने किया। एवं धन्यवाद ज्ञापन जनजाति सुरक्षा मंच के प्रदेश महिला संयोजक अंजलि लकड़ा ने किया।
बुधु भगत
1832 में, बुधु भगत ने छोटानागपुर के आदिवासियों के साथ अंग्रेजों और जमींदारों के दमनकारी शासन के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। इस विद्रोह को लकड़ा विद्रोह के नाम से जाना जाता है . अंग्रेजों ने बुधु भगत को पकड़ने के लिए 1000 रुपए इनाम की घोषणा की। 13 फरवरी 1832 को ब्रिटिश सेना सिलागई गांव पहुंची, और बुधु भगत के अनुयायियों के कड़े प्रतिरोध का सामना किया। उन्होंने धनुष, बाण, कुल्हाड़ियों और तलवारों के साथ अंग्रेजी सेना पर आक्रमण किया। बुधु भगत ने जोआ भगत के साथ इस विद्रोह का नेतृत्व किया। 13 फरवरी 1832 को कैप्टन इम्फे के खिलाफ लड़ते हुए बुधु भगत को अंग्रेजों ने पकड़ लिया और मार डाला। इस लड़ाई में बुधु भगत के पुत्र हलधर भगत और गिरिधर भगत भी मारे गए.