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आदिम जनजाति बिरहोर मौत मामले में अब राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने किया मामला दर्ज

शिकायत कर्ता के आपत्तियों को माना,डीसी-एसपी के जवाब से आयोग नही हुआ संतुष्ट

रांची: हज़ारीबाग़ जिले के केरेडारी प्रखंड में भारत सरकार की महारत्न कंपनी NTPC के चट्टी बरियातू कोल परियोजना में खनन के दुष्प्रभाव से आदिम जनजाति समुदाय के किरणी बिरहोर और बहादुर बिरहोर की मौत के मामले में हज़ारीबाग़ जिला प्रशासन अभी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जवाब भेज भी नही पाई है । उधर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने मामला दर्ज कर लिया है। एक्टिविस्ट मंटु सोनी की शिकायत एवं आपत्तियों के बाद मामला दर्ज किया गया है ।जिसकी जानकारी आयोग ने शिकायत कर्ता को दिया है। इसके पूर्व आयोग ने हज़ारीबाग़ डीसी-एसपी से जवाब जवाब मांगा था। जवाब मिलने पर शिकायत कर्ता से आयोग ने आपत्ति दर्ज करने को कहा था। जिसके बाद आयोग को पूरी जानकारी देते हुए पूरे षड्यंत्र को बताया गया था ।

आपत्तियों को मानते हुए हज़ारीबाग़ डीसी-एसपी के जवाब को आयोग ने किया खारिज,दर्ज किया मामला

एनटीपीसी के चट्टी बरियातू कोल खनन परियोजना के खनन स्थल के समीप आदिम जनजाति समुदाय के बिरहोर टोला निवासी नाबालिग किरणी बिरहोर और बहादुर उर्फ दुर्गा बिरहोर की मौत के मामले में मंटु सोनी की शिकायत पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने हज़ारीबाग़ डीसी-एसपी से जवाब मांगा था। डीसी-एसपी ने आयोग को भेजे जवाब पर शिकायत कर्ता ने प्रश्न खड़ा करते हुए कहा कि खनन से पूर्व वन अधिकार अधिनियम के तहत बिरहोर परिवारों को उनके लिए उपयुक्त जगह पर क्यों नही बसाया गया ? फॉरेस्ट क्लियरेंस में वनाधिकार अधिनियम के अनुपालन का गलत रिपोर्ट क्यों दिया गया ? खनन से पूर्व बिरहोर परिवारों ने बसाने का आवेदन डीसी को दिया उसे क्यों इग्नोर किया गया ? सदर अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय जांच दल का रिपोर्ट पर कार्रवाई क्यों नही हुआ ? मौत पर खनन एजेंसियों द्वारा किस आधार पर 40 हजार मुआवजा दिया गया ? दो मौतों पोस्टमार्टम क्यों नही कराया गया ? पूरे प्रकरण के पीछे की कहानी आयोग को बताया गया कि कोयला मंत्रालय द्वारा समय और लक्ष्य के मुताबिक चट्टी बरियातू कोयला परियोजना से उत्पादन,खनन और परिवहन में विलंब के लिए बैंक गारंटी का तीस प्रतिशत जब्त कर लिया गया था। इसलिए जिला प्रसाशन से मिलीभगत कर प्रयोक्ता एजेंसी द्वारा आनन-फानन में आदिम जनजाति समुदाय पर खतरों को दरकिनार कर खनन कार्य चालू किया गया था।

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