Ranchi: भाकपा माले झारखंड राज्य कमिटी ने राज्य में पेसा नियमावली को यथाशीघ्र लागू करने की मांग की है। पार्टी के राज्य सचिव मनोज भक्त ने कहा कि आदिवासी समुदायों के पारंपरिक और संविधान द्वारा संरक्षित अधिकारों को पेसा नियमावली के माध्यम से और अधिक सशक्त किया जाना चाहिए।
भाकपा माले का मानना है कि पेसा कानून को लागू करने में हुई देरी को देखते हुए, ग्राम-सभाओं को उनके अधीनस्थ भूमि के संबंध में 15 नवंबर 2000 को झारखंड के अलग होने के बाद हुए सौदों, अधिग्रहण और एमओयू के पुनर्मूल्यांकन का अधिकार मिलना चाहिए। इसके साथ ही, भाकपा माले ने यह भी कहा कि लैंड बैंक की नीति में बदलाव किए बिना और सामुदायिक भूमि का अधिकार समुदायों को लौटाए बिना पेसा अधूरा रहेगा।
पार्टी ने यह भी सुझाव दिया कि पेसा के तहत आनेवाले उन गांवों का सांस्कृतिक और सामाजिक नुकसान का मूल्यांकन करने के लिए विशेष समिति का गठन किया जाए, जो उद्योगों या खनन के कारण विस्थापित या अर्धविस्थापित हो चुके हैं। इसके अलावा, विस्थापित समुदायों के लिए समयबद्ध पुनर्वास सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
भाकपा माले ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकारें अब तक कॉरपोरेट हितों को प्राथमिकता देते हुए पेसा कानून को लागू करने में ढिलाई बरत रही हैं। पार्टी ने हेमंत सोरेन सरकार से आग्रह किया है कि इस संबंध में सभी संबंधित पक्षों और विशेषज्ञों से विमर्श करके पेसा को प्रभावी रूप से लागू किया जाए, ताकि इससे जुड़ी आशंकाओं को दूर किया जा सके।