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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने  याद  किया गुरुपुत्रों  बलिदान को 

राँची: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रांची महानगर द्वारा वीर बाल दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें बाल स्वयंसेवकों द्वारा पथ संचलन कार्यक्रम किया गया। पथ संचलन रिम्स परिसर से प्रारंभ होकर आरोग्य भवन में समाप्त हुआ, जहां बौद्धिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में आचार्य कुलम की प्राचार्या  सुजाता कौर ने गुरु गोविंद सिंह के चारों साहिबजादों के वीरता का प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह के साहबजादों की कहानी वास्तव में बहुत प्रेरणादायक है। उनके चारों पुत्रों – साहिबज़ादा अजीत सिंह, साहिबजादा जुझार सिंह, साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबज़ादा फतेह सिंह ने मुगलों के खिलाफ लड़ाई में बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अंतिम बलिदान दिया।

यह घटना 1705 में हुई थी, जब गुरु गोविंद सिंह और उनके पुत्रों ने मुगल सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इस लड़ाई में साहिबज़ादा अजीत सिंह और साहिबजादा जुझार सिंह शहीद हो गए थे।
बाद में साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबज़ादा फतेह सिंह को मुगलों ने पकड़ लिया और उन्हें दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। इस घटना को सिख इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में याद किया जाता है और गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों की बहादुरी और बलिदान को हमेशा याद रखा जाता है।
प्रांत के बाल कार्य प्रमुख सूरज जी ने संघ कार्य में विद्यार्थियों के महत्व तथा साहिबजादों द्वारा कम आयु में राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा के लिए लिए बलिदान पर प्रकाश डाला। उत्तर पूर्व क्षेत्र के संघचालक माननीय देवव्रत पाहन जी की उपस्थिति में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। पथ संचलन में लगभग 100 से ज़्यादा बाल स्वयंसेवकों ने भाग लिया।
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