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दिव्यांगों के भीतर आत्मशक्ति की अदभुत क्षमता: अभय नन्दन अम्बष्ट भा प्रा०से०, निः:शक्तता आयुक्त

 

रॉची: ब्रह्माकुमारी के राजयोग रिसर्च एवं राजयोगा फाउण्डेशन के दिव्यांग सेवा प्रभाग के द्वारा
पूरे भारत देश में चलाये जा रहे दिव्यांग समानता, संरक्षण एवं सशक्तिकरण अभियान के तहत पूरे
झारखंड में अभियान चलाया जा रहा है। झारखंड दिव्यांग समानता संरक्षण एवं सशक्तिकरण
अभियान का शुभारंभ चौधरी बगान हरमू रोड ब्रह्माकुमारी संस्थान में दीप प्रज्वलित कर किया गया।
इस अवसर पर दीप प्रज्वलित कर अभियान का शुभारंभ करते हुए झारखंड राज्य निःशक्तता
आयुक्त, अभय नन्दन अम्बष्ट भा प्रा० स० ने कहा कि दिव्यांगों के भीतर एक अदभुत क्षमता होती है।

वे अपनी आत्मशक्ति के बल पर जो चाहते हैं वो कर लेते हैं क्योंकि उनकी शारीरिक क्षमता भले ही
कमजोर हो, लेकिन बौद्धिक क्षमता अधिक होने से वो ऐसे कार्य भी कर लेते हैं, जो आम तौर पर
अकल्पनीय माने जाते हैं। दिव्यांगों को सहानुभूति नहीं साहस चाहिए। हमें उनके हुनर को प्लेटफोर्म
देना होगा। आगे का रास्ता वो खुद तय कर लेंगे। समाज उनके साथ समानता का व्यवहार करें
जिससे उनकी प्रतिभा में निखार हो। दिव्यांग के शरीर में कमी हो सकती है, लेकिन इस शरीर में
एक आत्मा है और आत्मा कभी विकलांग नहीं होती है।

कार्यक्रम में उपस्थित रांची गौशाला न्यास के अध्यक्ष पुनीत पोद्दार ने कहा मानवता की
सेवा ही सर्वोपरि सेवा है। आध्यात्मिकता और संगठन की शक्ति को जोड़ कर मानवता की सेवा
ब्रह्माकुमारीज कर रही है और यही श्रेष्ट पुण्य का मार्ग है। सृष्टि रंगमंच पर हर आत्मा का
आवश्यक और महत्वपूर्ण पार्ट है, ऐसा मानकर उनके लिए दुआ करें । उन्हें देखकर दुःखी न हों,
भगवान को भी न कोसें वरन अपने स्वयं के कर्मों पर अंतर्मुखी हो ध्यान दें और उन्हें श्रेष्ठ बनाएं।
ब्रह्माकुमारीज का यह कार्य प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय है।

मारवाडी सहायक समिति के अध्यक्ष मनोज चौधरी ने कहा कि भारत के आदिकाल में हर
नर-नारी शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, चारित्रिक आदि हर प्रकार से सक्षम और विकसित थे। अब
पुनः ऐसे भारत का निर्माण करने के लिये सभी को सुखदायी कर्म करने की कला सीखनी और
सिखानी चाहिए। यह समय की सशक्त मांग है।

सभा में उपस्थित झारखंड मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष बसंत मित्तल ने कहा कि हम सभी
का यह कर्तव्य बनता है कि हम अक्षम व्यक्तियों को, ईश्वर की संतान आत्मिक भाई मानकर दिल
से उनकी सेवा करें । उनके सामने इस प्रकार का वातावरण निर्माण करें जिससे उनको शांति मिले
और परमात्मा से उनका बुद्धियोग जुर्टे।

सामाजिक सुरक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक शत्रुंजय कुमार ने कहा कर्मो को श्रेष्ठ
बनाकर ही हम पवित्र मन तथा सुंदर और स्वस्थ शरीर पाने की मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं।
प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की सभी शाखाओं में यह शिक्षा निशुल्क दी जाती
है।

कार्यक्रम में उपस्थित दीपशिखा की उपाध्यक्षा अमिता कुमारी ने कहा यह एक दिव्य कार्यक्रम
है जिसमें दिव्यांगजन समता की बात कही जा रही है जहां ममता होती है वहां समता स्वयं आ
जाती है। समानता के लिए स्कूल स्तर से ही प्रशिक्षण की आवश्यकता है ताकि जब आज के बच्चे
कल के भविष्य बनेंगे तो वे दिव्यांग जनों से भेदभाव न करें उन्हें अपने समान ही समझें ।

कार्यक्रम में उपस्थित कोशिश संस्था की प्रमुख दीपा चौधरी ने कहा कि विशेष
बच्चों को भी अन्य बच्चों की तरह समान अवसर और माहौल मिले।

संत मिखाइल नेत्रहीन विद्यालय की शिक्षिका बरनाली पॉल भी कार्यक्रम में उपस्थित थीं।
उन्होंने कहा कि हमारे स्कूल के बच्चों में अन्य बच्चों की तरह ही या उनसे भी अधिक स्मरण शक्ति
तीक्ष्ण है। इसलिए इन्हें केवल अवसर की आवश्यकता है न कि हमदर्दी की।

ब्रह्माकुमारीज के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय से आए हुए दिव्यांग सेवा के प्रमुख ब्रह्माकुमार
सूर्यमणि दास राष्ट्रीय समन्वयक ने कहा कि दिव्यांगजन परमात्मा के अधिक निकट होते हैं। उनकी
थर्ड आई खुली हुई होती है। दिव्यांगजनों में अद्भुत क्षमता होती है। जिसका जीता जागता
उदाहरण समाज में देखने को मिल रहा है। यदि उन्हें सही मार्गदर्शन एवं अवसर प्राप्त हो तो वे भी
सामान्य व्यक्ति की तरह उसे किसी भी बात में पीछे नहीं है। वर्तमान समय में दिव्यांग जन
ओलंपिक गेम्स में मेडल हासिल कर रहे है। यह उनकी अद्भुत साहस का मिशाल है।

माउंट आबू से आए हुए ब्रह्माकुमार सूर्य प्रकाश राव, लड़ाकू विमान एयरफोर्स ग्रुप कैप्टन ने
कहा कि अक्षमता से ग्रसित व्यक्तियों के ग्रहण करने के स्तर को ध्यान में रखकर, सकारात्मक
चिंतन, आशावादी दृष्टिकोण तथा मूल्यों का परिचय भी उन्हें दिया जाना चाहिए। मनोवैज्ञानिकों
द्वारा उनके लिए सुझाव गए पाठ्यक्रमों में, अन्य जानकारियों के साथ-साथ आत्मा, परमात्मा,
कर्म-सिद्धांत, सृष्टि के आदि, मध्य, अंत का ज्ञान भी होना चाहिए ताकि अपने प्रति हुए इस हादसे
के आध्यात्मिक पहलू को जानकर वे समझदार बनें।

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने
कहा कि दिव्यांगजन अपने अभावो में भी स्वयं को कमजोर नहीं होने देते। वे अपना मार्ग स्वयं
प्रशस्त करते हैं और दिव्यांगता को अपनी मजबूरी नहीं बनने देते मूक होकर भी इशारों से सब कुछ
बोल जाते हैं, बधिर होकर भी सब समझ लेते हैं, पंगु होकर भी जिंदगी की दौड़ में आगे निकल
जाते हैं, दृष्टिहीन होकर भी मन की आंखों से सब कुछ देख लेते हैं। स्वस्थ शरीर के बावजूद बहुत
से व्यक्ति अधुरे ही होते हैं और दिव्यांग तन-मन से संपूर्ण होते हैं। ऐसे दिव्यांगजन वास्तव में
सम्मान के पात्र हैं क्योंकि वह हमें जिंदगी का पाठ सिखाते हैं। दीदी जी ने कहा कि ब्रह्माकुमारी
संस्था के द्वारा दिया जाने वाला राजयोग का प्रशिक्षण जो निःशुल्क है का अभ्यास मानव मन को
मजबूत और सकारात्मक बनाता है।

ब्रह्माकुमारी बहन के द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को गाईडेड राजयोग मेडिटेशन
का अभ्यास कराया गया तथा सभी को प्रसाद दिया गया। बाल कलाकारों के द्वारा नृत्य नाटिका
प्रस्तुत किया गया। रांची के विभिन्न दिव्यांग स्कूलों के शिक्षक एवं कुछ छात्र भी उपस्थित हुए।
कल दीपशिखा मानसिक स्वास्थ्य विद्यालय, क्षितिज मूक-बधिर विद्यालय निवारणपुर तथा रा० नेत्रहीन
विद्यालय हरमू में कार्यक्रम किए जायेंगे।

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