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जेएसएससी-सीजीएल रिजल्ट का प्रकाशन झारखण्ड की नवगठित सरकार के लिए अगर गंभीर संकट पैदा कर दे तो कोई आश्चर्य नहीं  

 

रांची: छात्रों के विरोध के बावजूद जेएसएससी-सीजीएल रिजल्ट का प्रकाशन झारखण्ड की नवगठित सरकार के लिए अगर गंभीर संकट पैदा कर दे तो कोई आश्चर्य नहीं। क्योकि की छात्र इसके विरोध में भयंकर प्रदर्शन करने के मूड में हैं। इस से सम्बंधित मामला झारखंड उच्च न्यायालय में भी लंबित है जिसकी सुनवाई 17 दिसंबर को होनी है।

जेएसएससी-सीजीएल रिजल्ट के प्रकाशन  झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा संयुक्त स्नातक स्तरीय (सीजीएल) परीक्षा परिणाम के प्रकाशन के विरोध में शुक्रवार को हजारीबाग में छात्रों ने कैंडल मार्च निकाला।

सीजीएल अभ्यर्थी अर्जुन विश्वकर्मा ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि कैंडल मार्च गांधी मैदान से शुरू होकर कोर्रा तक गया, जहां से यह वापस अपने मूल स्थान पर पहुंचा।

कैंडल मार्च में 500 से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया। कैंडल मार्च में शामिल छात्रों ने वास्तविक छात्रों के लिए न्याय की मांग की और रिजल्ट को रद्द करने की मांग की। गांधी मैदान में अभी भी बैठक चल रही है,” विश्वकर्मा ने देर शाम मार्च के बारे में जानकारी देते हुए बताया। आंदोलनरत छात्रों ने मार्च का वीडियो भी भेजा है। मार्च के बाद छात्र आंदोलन बनाये।  झारखंड क्रांतिकारी लोकतांत्रिक मोर्चा के नेताओं से भी उनकी बातचीत चल रही है।  उम्मीद है कि 14 दिसंबर से आंदोलन शुरू होगा, लेकिन अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।

इस बीच यंग ब्लड आदिवासी समाज सह ऑल संथाल स्टूडेंट यूनियन के तत्वावधान में छात्रों के एक वर्ग ने रिजल्ट के प्रकाशन के खिलाफ प्रेस बयान जारी किया। यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष मनोज टुडू ने कहा कि विभिन्न परीक्षाओं में भ्रष्टाचार छात्रों का जीवन बर्बाद कर रहा है। टुडू ने कहा कि किसी भी परीक्षा का परिणाम घोषित करने की प्रक्रिया ही यह साबित करती है कि परीक्षाओं में अभी भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार चल रहा है। किसी भी परीक्षा का परिणाम पारदर्शिता के साथ प्रकाशित करना बहुत जरूरी है। पहली उत्तर पुस्तिका, दूसरी सभी समुदायों के कट ऑफ मार्क्स और तीसरी उत्तीर्ण सभी छात्रों के कंप्यूटर में डाउनलोड ओएमआर शीट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

वर्तमान में जेएसएससी सीजीएल परीक्षा का परिणाम प्रकाशित किया गया है, जिसमें न तो कट ऑफ दिखाया गया है और न ही उत्तीर्ण छात्रों की उत्तर पुस्तिका को कंप्यूटर में डाउनलोड कर सार्वजनिक किया गया है। परीक्षा की यह पूरी प्रक्रिया दर्शाती है कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है, जो बहुत खतरनाक है और करोड़ों छात्रों का जीवन बर्बाद कर रहा है।

 

जेएसएससी ने 21 और 22 सितंबर को राज्य भर के 800 से अधिक केंद्रों पर आयोजित संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का परिणाम 4 दिसंबर को इसकी निष्पक्षता पर विवाद के बीच प्रकाशित किया। पदों की संख्या 2025 है और भर्ती एजेंसी ने 2231 उम्मीदवारों (10 प्रतिशत अतिरिक्त) को नामकुम स्थित अपने कार्यालय में 16 दिसंबर से 20 दिसंबर तक दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया था। यह घटनाक्रम हेमंत सोरेन सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार से एक दिन पहले हुआ। इस मामले में एक जनहित याचिका 17 दिसंबर को हाईकोर्ट में लंबित है।

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