NEWS7AIR

केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड में अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस का भव्य आयोजन

रांची: अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर, केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड (सीयूजे) के अंग्रेजी अध्ययन विभाग और राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) ने “हाशिये से केंद्र तक: विकलांगता और समावेशन की बहुआयामी प्रतिध्वनियाँ” शीर्षक से दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया।

यह कार्यक्रम कौशल विकास, पुनर्वास और दिव्यांगजन सशक्तिकरण के लिए समग्र क्षेत्रीय केंद्र (सीआरसी), भारत सरकार, रांची के सहयोग से आयोजित किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, समावेशन को प्रोत्साहित करना और दिव्यांगजनों के लिए सुलभता सुनिश्चित करना था।

कार्यक्रम का पहला दिन, 4 दिसंबर, जागरूकता और रचनात्मकता से भरा रहा। इस दिन की शुरुआत भाषण प्रतियोगिता से हुई, जिसमें केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड और सीआरसी के विद्यार्थियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने दिव्यांगजनों के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के प्रति समाज की जिम्मेदारियों पर गहन विचार प्रस्तुत किए। इस प्रतियोगिता ने सभी को दिव्यांगजनों के प्रति संवेदनशीलता और समानता की ओर प्रेरित किया।

इसके बाद तत्काल चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसका विषय था “मानवता के ताने-बाने में शारीरिक विविधता।” इस प्रतियोगिता में छात्रों ने अपनी कला के माध्यम से समावेशन और विविधता के विभिन्न पहलुओं को प्रभावी ढंग से चित्रित किया। चित्रों ने दिव्यांगता की सच्चाइयों और उनसे जुड़ी सामाजिक धारणाओं पर गहराई से प्रकाश डाला।

ओपन हाउस क्विज़ ने भी सभी प्रतिभागियों में काफी उत्साह उत्पन्न किया। इस क्विज़ के माध्यम से दिव्यांगता अधिकारों, इतिहास और दिव्यांगता से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी साझा की गई। कार्यक्रम में सहायक उपकरणों की एक विशेष प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें दिव्यांगजनों के जीवन को आसान बनाने वाले तकनीकी उपकरणों का प्रदर्शन किया गया।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण नुक्कड़ नाटक था, जिसे सीआरसी के विद्यार्थियों, जिनमें दिव्यांगजन भी शामिल थे, ने प्रस्तुत किया। इस नाटक में भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) की जागरूकता पर विशेष जोर दिया गया। नाटक ने यह संदेश दिया कि संवाद की सुलभता सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

5 दिसंबर को, कार्यक्रम के दूसरे दिन, एक ऑनलाइन पैनल चर्चा आयोजित की गई। इस चर्चा में दिव्यांगता अधिकारों और समावेशन के क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञों, कार्यकर्ताओं और नीति निर्माताओं ने भाग लिया। उन्होंने अपने-अपने अनुभवों और दृष्टिकोणों को साझा किया, जिससे प्रतिभागियों को समावेशन की दिशा में उठाए जाने वाले ठोस कदमों की जानकारी मिली।
सीआरसी के निदेशक श्री सूर्यमणि प्रसाद ने अपने संबोधन में दिव्यांगजनों की सशक्तिकरण की आवश्यकता पर जोर दिया और केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड के साथ भविष्य में और सहयोग की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि शिक्षा और जागरूकता ही वह माध्यम हैं, जिनके द्वारा हम एक समावेशी समाज का निर्माण कर सकते हैं।

केंद्रीय विश्वविद्यालय के डॉ. शाकिर तसनीम ने भी अपने विचार साझा करते हुए कहा कि दिव्यांगजनों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए हमें अपनी सोच और नीतियों में व्यापक बदलाव लाना होगा। इसके साथ ही, श्री रचित ने भी दिव्यांगता जागरूकता के संदर्भ में महत्वपूर्ण विचार रखे और समावेशन को मजबूत करने पर बल दिया।

सीआरसी की सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रीति तिवारी और श्री मुकेश कुमार ने भी दिव्यांगता और समावेशन पर अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में सीयूजे के प्रोफेसर सुचेता सेन चौधरी, प्रो. आर.एन. शर्मा, डॉ. रवि रंजन, डॉ. रंजीत कुमार, डॉ. प्रज्ञा शुक्ला, डॉ. कालसांग वांगमो, प्रो. रत्नेश विश्वक्सेन और अन्य शिक्षकों ने भी भाग लिया और अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।
इस आयोजन में लगभग 500 प्रतिभागियों ने भाग लिया। श्री राम प्रकाश राय द्वारा भारतीय सांकेतिक भाषा में प्रस्तुत राष्ट्रगान ने सभी को गहराई से प्रभावित किया और समावेशन का सशक्त संदेश दिया।

इस कार्यक्रम ने समावेशन और दिव्यांगता अधिकारों पर जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और एक संवेदनशील और सुलभ समाज के निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाने की प्रेरणा दी।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.